बॉलीवुड की फिल्मों में विलेन के मुंह में आपने सोने के दांत तो देखे ही होंगे. वास्तव में पुराने जमाने में बड़े बुजुर्ग भी सोने का दांत लगवाना अधिक पसंद करते थे. अब सवाल यह उठता है कि क्या सोने के दांत आज भी बनते हैं? और अगर बनते हैं, तो इनकी कीमत क्या होती है और ये कहां बनते हैं?
किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के डेंटल विभाग की प्रोफेसर हेड डॉ. प्रोमिला वर्मा ने बताया कि पूरे भारत में सिर्फ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ही सोने के दांत बनाए जाते हैं. खोखले दांतों में सोने की फिलिंग करने के साथ ही सोने की कैप भी मरीजों की डिमांड पर बनाई जाती है. पूरे देश में सिर्फ यहीं पर यह सुविधा उपलब्ध है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इसके लिए जापान से खास औजारों की एक किट मंगाई गई थी, जो सिर्फ केजीएमयू में ही है. उन्होंने यह भी बताया कि आज भी लोगों में सोने की फिलिंग और सोने की कैप लगवाने का क्रेज है, लेकिन थोड़ी महंगी होने की वजह से लोग इससे बचते हैं. हालांकि इसे लगवाने के फायदे भी हैं, जो लोगों को पता नहीं होते.
24 कैरेट सोने का ही होता है इस्तेमाल
प्रोफेसर प्रोमिला वर्मा ने बताया कि डेंटल विभाग की अपनी खुद की लैब है. खोखले दांतों की फिलिंग करने के साथ ही कैप बनाने के लिए 24 कैरेट सोने का ही इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि 24 कैरेट सोना पतला होता है और मुलायम होता है. इसको हर तरह से खींच सकते हैं और वांछित आकार दे सकते हैं. सोने की कैप या सोने की फिलिंग तैयार करने में एक दिन का वक्त तो लगता ही है. 24 कैरेट सोने का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता. खाने में हमेशा 24 कैरेट सोने का ही लोग इस्तेमाल करते हैं.
इतनी होती है कीमत
उन्होंने बताया कि अगर किसी को पूरी कैप सोने की लगवानी होती है, तो उसकी कीमत, इस बात पर निर्भर करती है कि 24 कैरेट सोने का प्रति 10 ग्राम भाव क्या चल रहा है. वहीं, अगर किसी को सिर्फ सोने की फिलिंग करानी होती है, तो वह चार से पांच हजार में हो जाती है.
सोने के दांत के फायदे
प्रोफेसर प्रोमिला वर्मा ने बताया कि सोने का दांत या सोने की फिलिंग लगवाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह जिंदगी भर खराब नहीं होती. इसका रंग हमेशा बना रहता है. अगर आपका दांत निकल भी गया, तो भी इसका इस्तेमाल दोबारा किया जा सकता है, जबकि दूसरे किसी भी मेटल का इस्तेमाल दोबारा नहीं किया जा सकता. सोने के भाव हमेशा बढ़ते ही हैं, तो ऐसे में मरीज को सोने का दांत या सोने की फिलिंग करने के तमाम फायदे होते हैं.
पुरानी ज्वेलरी से भी बनवा सकते हैं
प्रोफेसर प्रोमिला वर्मा ने बताया कि अगर कोई अपनी पुरानी ज्वेलरी या जेवर लाकर देता है, तो उससे भी सोने का दांत बनाया जा सकता है या उसकी फिलिंग की जा सकती है. उन्होंने बताया कि सोने को गलाने से लेकर उसे पीटने तक का काम भी केजीएमयू की लैब में ही होता है. सब कुछ मरीज के सामने होता है, जिस वजह से मरीज को भी कोई दिक्कत नहीं होती.
लगवाने के लिए ऐसे करें संपर्क
प्रोफेसर प्रोमिला वर्मा ने बताया कि अगर किसी को यह दांत लगवाने हैं, तो वह किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डेंटल विभाग की पुरानी ओपीडी या नई ओपीडी दोनों में से किसी भी जगह आ सकता है. यह ओपीडी 6 दिन चलती है.