बहुत जरुरी है फंगल संक्रमण से बचाव, यह संकेत दिखते ही पहुंचे डॉक्टर के पास

फंगल संक्रमण एक ऐसा संक्रमण है, जो पुरुष, महिला, बच्चे, बुजुर्ग किसी को भी हो सकता है. यह संक्रमण शरीर के किसी भी हिस्से पर फैल सकता है, जैसे- हांथ पर, सिर पर, उंगलियों में, मुंह में या शरीर के अन्य भागों में भी हो सकता है. वैसे सभी प्रकार के फंगस हानिकारक नहीं होते हैं. कुछ छोटे-छोटे फंगस होते हैं, जो हवा के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और हमें संक्रमित करते हैं. चलिए जानते हैं, फंगल इन्फेक्शन क्या है, फंगल इन्फेक्शन से कैसे बचाव करें.

इसको लेकर डॉक्टर लाल सिंह ने कहा कि फंगस हवा में, मिट्टी में, पौधों पर और पानी हर जगह रहते हैं. कुछ मानव शरीर में भी रहते हैं. यदि बात की जाए कि कवक या फंगल हानिकारक होती है या नहीं, तो यहां हम आपको ये बता दें कि सभी प्रकार के फंगल हानिकारक नहीं होते हैं. कुछ छोटे छोटे फंगल हवा में छोटे बीजाणुओं के माध्यम से प्रजनन करते हैं. ये छोटे बीजाणु बहुत बार हमारे द्वारा ली गयी हवा के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और हमे इन्फेक्टेड कर देते हैं.

अत्यधिक पसीना से होता है फंगस
उन्होंने कहा कि फंगस अक्सर गर्म और नम वातावरण में बढ़ता है. पसीने से तर या गीले कपड़े पहनना भी आपकी त्वचा के इन्फेक्शन के लिए एक जोखिम कारक है. त्वचा के कटने या फटने से भी बैक्टीरिया त्वचा की गहरी परतों में अंदर तक जा सकता है. विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन हो सकते हैं. व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ गैर अनुपालन अत्यधिक पसीना आना, तंग कपड़े, जूते पहनने से हो जाता है.

ओरल ऐंटिफंगल दवाओं का करें प्रयोग
डॉक्टर लाल सिंह ने कहा कि त्वचा, बाल और नाखूनों की सतह पर फंगल संक्रमण होना बेहद आम हैं. इन संक्रमणों को चिकित्सा शब्द टिनिया द्वारा जाना जाता है. जो शरीर पर लगभग कहीं भी हो सकते हैं. उदाहरणों में दाद, जॉक खुजली और एथलीट फुट शामिल हैं. ओवर-द-काउंटर एंटीफंगल क्रीम या स्प्रे सीमित संक्रमण के लिए अक्सर प्रभावी होते हैं. लेकिन इनमें से कुछ संक्रमण, जैसे सिर का दाद, आमतौर पर ऐसे फंगस को मारने के लिए डॉक्टर की लिखी दवा से उपचार की आवश्यकता होती है. इस प्रकार का इनफ़ेक्शन नाखूनों में होता है. जिसे ऑनिकोमाईकोसिस भी कहा जाता है. पैर की अंगुली के नाखून के हिस्से में फफूंद का संक्रमण के कारण होता है. जैसे-जैसे नाखून बढ़ता है, यह भंगुर होता जाता है, फिर मोटा होकर नाखून से अलग हो जाता है. फंगल नेल के इलाज के लिए भी ओरल ऐंटिफंगल दवाओं का प्रयोग किया जाता है. इसके इलाज के लिए भी क्रीम और लोशन मदद नहीं करते है.

कैसे करें बचाव
फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए टाइट कपड़े, मोटे कपड़े पहनने से बचना चाहिए. साथ ही साफ-सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा हाइड्रेशन का भी ध्यान रखना चाहिए. इस मौसम में मौसमी फलों का अधिक सेवन करना चाहिए. यह त्वचा के लिए फायदेमंद होता है. वहीं चेहरे को दिन में दो से तीन बार फेसवॉश से धोना चाहिए. लेकिन ध्यान रखें कि हम कोई भी सनस्क्रीन या फेशवाश का उपयोग करें वह अच्छी कंपनी का हो.

 

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