UP के अकबरनगर में 1200 घरों पर बुलडोजर चला

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लोगों ने कहा कि वे 40 साल तक टैक्स भरते रहे, अब अवैध कैसे

अकबरनगर फेज-2 मोहल्ले को चारों ओर से घेर लिया गया था। करीब सौ पुलिसकर्मी हर छोटी-छोटी हलचल को देख रहे थे। सिक्योरिटी फोर्स के अलावा किसी को भी इलाके में घुसने की अनुमति नहीं थी।

सख्ती इतनी थी कि पुलिसवालों को भी मोबाइल फोन निकालने नहीं दिया गया। इन सबके पीछे एक बहुत बड़ा कारण था। मोहल्ले में एक मदरसा और दो पांच मंजिला मस्जिदें (मोहम्मदिया और हंजला) ढहाया जाना था।

एक घंटे के बाद..। शाम से खामोश पड़े आठ बुलडोजर खुले। मस्जिद पहले तोड़ी गई, फिर मदरसा। देखते ही देखते मस्जिदों को भी तोड़ डाला गया। 10 से 18 जून तक, LDA (लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी) ने भारी पुलिस बल के साथ अकबरनगर को ढहा दिया। UP सरकार अब इस स्थान पर रिवर फ्रंट बनाएगी।

24 एकड़ की बस्ती में अवैध घरों, दुकानों, मंदिरों, मस्जिदों और मदरसे सब मलबे में बदल गए हैं। शेष खंडहर को हटाने के लिए नगर निगम की टीम काम कर रही है। यहां पुलिस और PAC के जवान तैनात हैं।

दूसरी ओर, मस्जिदों-मदरसों की देखरेख करने वाले और इमामों के कागजात बताते हैं कि 2007 में नगर निगम ने खुद बिल्डिंग की जगह पर मुहर लगाई थी। बस्ती के लोगों ने बताया कि यूपी के गवर्नर अकबर अली खान ने 1972 में इसे अपना नाम देकर बसाया था। UP सरकार अब ये जमीन अपनी है।

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अकबरनगर, गवर्नर का बसाया शहर या अवैध बस्ती
1971 का वर्ष है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी थे। तभी गोमती नदी को कुकरैल नदी से जोड़ने का विचार हुआ। दोनों नदियों के बीच घना जंगल था, इसलिए काम खतरनाक था। इस जंगल में जहरीले सांप और अन्य जानवर रहते थे।

1972 में, अकबर अली खान यूपी का गवर्नर बनाया गया था। अकबर भी राज्यसभा का उपसभापति 12 वर्षों तक रहे। अकबरनगर के लोगों का कहना है कि कुकरैल नदी के जंगलों को साफ करके अकबर अली खान ने ये बस्ती बनाई थीं।

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2 मंजिला मकान ढहाया, बदले में 2 कमरे का फ्लैट मिला
12 जून को, अकबरनगर में रहने वाले मोहम्मद जैद का दो मंजिला घर ढहा दिया गया। LDA ने उन्हें बसंत कुंज में दो फ्लैट कमरों में बदल दिया है। मोहम्मद जैद का परिवार बारह सदस्यों से बना है। दोस्तों के घर में रह रहे हैं क्योंकि दो कमरे के फ्लैट में इतने लोग नहीं रह सकते।

1970 से पहले लोग गोमती नदी के किनारे झोपड़ी बनाकर रहते थे, कहते हैं जैद। तब हर दिन कुकरैल के जंगलों से सियार और अन्य जंगली जानवर गांवों में आते थे। इन समस्याओं को देखते हुए, गवर्नर साहब ने क्षेत्र को खाली कर दिया और वहाँ नई बस्ती बनाई। अकबरनगर नाम दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पूरी बस्ती गैरकानूनी थी
पिछले 53 वर्षों में अकबरनगर में 2200 परिवार बस गए हैं। योगी सरकार ने जुलाई 2023 में निर्णय लिया कि कुकरैल नदी पर एक जलमार्ग बनाया जाएगा, जो गुजरात के साबरमती जलमार्ग की तरह होगा। प्रस्ताव पारित होने पर नदी के किनारे से कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू हुई। Dec 2023 में अकबरनगर नगर का सर्वे हुआ था। यहां भी कब्जा हटाया गया।

पूरे अकबरनगर को ध्वस्त करने की योजना बनाई गई, इसलिए लोग हाईकोर्ट गए। बाद में कब्जा हटाया गया। सरकार की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार की कार्रवाई को सही ठहराया।

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1980 से अक्बरनगर में रह रहे लोगों ने कोर्ट को बताया कि वे चार दशक से घरेलू टैक्स और बिजली बिल भर रहे हैं, इसलिए हमें बेघर कैसे किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट के जजों की बेंच ने कहा कि टैक्स और बिजली बिल भरने से मालिकाना हक नहीं मिलता।

अकबरनगर का मुकदमा हार गया। अब उन्हें डर लगने लगा कि उनके घरों पर कभी भी बुलडोजर चल सकता है। इसके बाद लोकसभा चुनाव हुए। आचार संहिता लागू होने से क्षेत्र को खाली करने की प्रक्रिया रुक गई।

आचार संहिता हटने के बाद प्रशासन ने 10 जून से अकबरनगर में फिर कब्जा हटाना शुरू किया। 18 जून तक पूरा इलाका जमींदोज कर दिया गया।

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लखनऊ के पॉश इलाके इंदिरानगर से सटे अकबरनगर मोहल्ले में करीब 1200 मकानों के अलावा 4 मंदिर, 3 मस्जिदें और 3 मदरसे भी ढहा दिए गए। मंदिरों की देखरेख 11 सदस्यों की एक कमेटी करती थी।

कमेटी के सदस्य प्रदीप अवस्थी ने बताया कि जब ये मोहल्ला 1972 में अकबर साहब ने बसाया था, तब यहां करीब 280 लोग झोपड़ी बनाकर रहते थे। उस समय यहां हिंदुओं और मुसलमानों की संख्या लगभग समान थी। यहां क्रमशः मंदिर-मस्जिद बनाए गए।

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