राजस्थान में कोटा के बाद एक और शहर एजुकेशन सिटी के रूप में विकसित हो रहा है. ये है सीकर. यहां भी कई कोचिंग सेंटर तैयार हो गए हैं जो बच्चों को आईआईटी, नीट और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रहे हैं. इनके परिणाम भी अच्छे हैं. हर साल करीब 50 हजार बच्चे बाहरी प्रदेशों से यहां कोचिंग के लिए आ रहे हैं. ये अच्छे करियर के लिए एक तरह से तपस्या करते हैं. छोटे छोटे कमरे में कई छात्र एक साथ रहते हैं. वहीं पढ़ाई-रहना और खाना पीना करते हैं. इनका लक्ष्य होता है सिर्फ और सिर्फ सफलता. खास बात ये है कि सीकर में कोटा के मुकाबले खुला वातावरण और निजी कोचिंग संस्थानों पर प्रशासन की सीधी पकड़ के कारण यहां स्टूडेंट सुसाइड केस न के बराबर हैं.
एजुकेशन हब के रूप में विकसित हो रहे सीकर के बारे में ये जानकारी आपके काम की हो सकती है. किस प्रकार स्टूडेंट्स यहां रहकर तैयारी करते हैं और उन्हें यहां किस प्रकार का वातावरण मिलता है. लोकल 18 की टीम ने सीकर के अलग-अलग स्थानों पर जाकर दर्जनों विद्यार्थियों से सीकर और कोटा की शिक्षा व्यवस्था के बारे में बात की. इनमे से अधिकांश स्टूडेंट इससे पहले कोटा में रह चुके हैं. इनका कहना है सीकर का खुला वातावरण और बेस्ट टीचर फैकल्टी इसे कोटा से अलग बनाती है. आने वाले समय में सीकर में कोटा के मुकाबले अधिक स्टूडेंट तैयारी करने के लिए आएंगे.
एक कमरे में तीन लड़के
सीकर में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे विजेंद्र अपने तीन दोस्तों के साथ एक छोटे से रूम में रहते हैं. रूम में ही खाना बनाते हैं. पढ़ते हैं और सोते हैं. तीनों विद्यार्थी राजस्थान की सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सीकर का कोचिंग मॉडल इसे अन्य एजुकेशन सिटीज से अलग बनाता है.