वंदना ने जीवन में कई बार उतार चढ़ाव देखे वंदना ने वह दिन भी देखे जब उन्हें पढ़ाई के लिए ऑटो और पैदल संघर्ष करना पड़ता था. परिवार में कोई उन्हें टीचर बनाना चाहता था. कोई उन्हें बैंकिंग में जाने की सलाह दे रहा था, लेकिन बड़े भाई की सीआरपीएफ की वर्दी ने ऐसा खींचा कि वंदना ने तय किया कि उसे पुलिस में जाना है और खाकी वर्दी ही पहननी हैं, लिहाजा तमाम चुनौतियों के बाद भी वह कभी कोचिंग कभी सेल्फ स्टडी के सहारे अपनी तैयारी में जुट गई. एक समय ऐसा भी आया जब वंदना का सेलेक्शन यूपी कांस्टेबल में नहीं हो पाया और ठीक उसके अगले साल निकली यूपी पुलिस सब इंस्पेक्टर की भर्ती में वंदना सेलेक्ट हो गईं.
वंदना का परिवार गाजियाबाद में रहता है. उनके पिताजी एमटीएनएल में कर्मचारी थे. वंदना के दो भाई है और वह सबसे छोटी हैं. वंदना बताती हैं कि उनकी पढ़ाई लिखाई दिल्ली के मयूर विहार 2 स्थित राजकीय सर्वोदय कन्या विद्यालय में हुई. उन्होंने यहां 12वीं तक पढ़ाई की वंदना को कभी ऑटो, कभी पैदल यहां की यात्रा करनी पड़ती थी, लेकिन वह इससे घबराती नहीं थी. उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई इग्नू से किया.
वंदना बताती हैं कि उनके बड़े भैया का सेलेक्शन सीआरपीएफ में हुआ था. जब वह घर आते थे वह उनकी वर्दी पहनकर खुद को शीशे में देखती थीं, तो उन्हें अच्छा लगता था. लिहाजा यहीं से उनको पुलिस में जाने का शौक लगा. वंदना कहती हैं कि उनकी मम्मी टीचर बनाना चाहती थीं. पिताजी बैंक की नौकरी चाहते थे, लेकिन वंदना को खाकी से ऐसा लगाव हुआ कि उन्होंने पुलिस में नौकरी पाने की ठान ली.
वंदना कहती हैं कि वर्ष 2021 में यूपी पुलिस में कांस्टेबल की भर्तियां आईं. लिखित परीक्षा में सेलेक्शन के बाद फिजिकल में उनका 9 सेकंड से सेलेक्शन रह गया. उनको बहुत दुख हुआ. इसके कुछ ही महीनों बाद यूपी पुलिस एसआई भर्ती का फॉर्म आया. उन्होंने इसका फॉर्म भरकर तैयारी शुरू कर दी. दिसंबर 2021 में इसका पेपर हुआ. वह पास हो गईं. इधर दिल्ली पुलिस कांस्टेबल की लिखित परीक्षा में भी उनका सेलेक्शन हो गया था, लेकिन वहां भी वह फिजिकल में छंट गईं. जब यूपी पुलिस एसआई की लिखित परीक्षा में सेलेक्शन हो गया, तो उन्होंने फिजिकल की तैयारी पर फोकस किया और फाइनली सेलेक्ट हो गईं. उन्होंने अपनी दौड़ 16 मिनट की बजाय 13 मिनट में ही पूरी कर ली.
वंदना कहती हैं कि पिताजी ने रिटायरमेंट के 4 साल पहले ही वीआरएस ले लिया और घर पर रहने लगे. इसी बीच उनकी तबियत गड़बड़ रहने लगी. वंदना याद करती हैं कि एसआई पर सेलेक्शन के बाद उनका मेडिकल होना था. इसी दौरान उनके पिताजी की तबियत बिगड़ी और वह अस्पताल में एडमिट हुए, जहां पता चला कि उन्हें कैंसर है और वह आखिरी स्टेज में है. ऐसे में इधर सेलेक्शन की खुशी मिली, उधर हमारे ऊपर गमों का पहाड़ टूट पड़ा. पिताजी दिसंबर 2022 को नहीं रहे. वंदना कहती हैं कि यह समय काफी संघर्षपूर्ण रहा. मार्च 2023 में एसआई के पद पर उनकी ज्वाइनिंग थी, जिसकी मार्च 2024 तक मुरादाबाद पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में उन्होंने ट्रेनिंग ली. अब उनकी तैनाती झांसी जिले में हुई है.