दशहरा: जलेबी और पान के बिना अधूरा पर्व

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जलेबी : दशहरा, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, हर वर्ष भारतीय पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक मान्यता का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, और माता दुर्गा ने महिषासुर का नाश किया। दशहरा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारतीय परंपराओं, खानपान, और सामाजिक समागम का भी हिस्सा है।

दशहरा का महत्व

दशहरा के दिन रावण का दहन, शस्त्र पूजा, और विजयादशमी मनाने की परंपरा है। इस पर्व का महत्व इस बात में है कि यह हमें सिखाता है कि अंत में सत्य की विजय होती है। जब रावण का पुतला जलाया जाता है, तो यह प्रतीकात्मक रूप से हमारे अंदर की बुराइयों को खत्म करने का संदेश देता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलकर खुशियां मनाते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं।

दशहरा: जलेबी और पान के बिना अधूरा पर्व
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जलेबी और पान का महत्व

इस उत्सव के दौरान जलेबी और पान का सेवन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। परंपरा के अनुसार, जलेबी और पान के बिना दशहरा अधूरा सा लगता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसके पीछे कई मान्यताएं हैं।

  1. जलेबी का संबंध भगवान राम से: लोक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम को ‘शशकुली’ नामक मिठाई बहुत पसंद थी, जिसे आज के समय में जलेबी कहा जाता है। मान्यता है कि जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की, तब उन्होंने इस मिठाई का सेवन किया था। इस कारण से, लोग दशहरे के दिन जलेबी खाकर अपनी जीत का जश्न मनाते हैं। यह परंपरा भगवान राम की श्रद्धा और भक्ति को दर्शाती है। हालांकि, शास्त्रों में इसका कोई आधिकारिक उल्लेख नहीं है, फिर भी यह परंपरा आज भी जीवित है।
  2. पान का महत्व: दशहरे के दिन कुछ स्थानों पर जलेबी के साथ पान का सेवन भी किया जाता है। रावण दहन के बाद लोग एक-दूसरे को पान खिलाकर गले मिलते हैं। पान को स्वास्थ्य, सौभाग्य, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन पान खाने की परंपरा इस बात को दर्शाती है कि हम एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी मनाते हैं और जीवन में सकारात्मकता लाते हैं।

दही और चीनी की परंपरा

दशहरा पर कुछ स्थानों पर दही और चीनी का भी सेवन किया जाता है। विशेष रूप से उड़ीसा में, महिलाएं देवी को दही के साथ पके हुए चावल चढ़ाती हैं। यह परंपरा यह दर्शाती है कि हम अपनी खुशियों को बांटते हैं और समाज में एकजुटता लाने का प्रयास करते हैं। इस दिन नरम और स्पंजी रसगुल्ले भी प्रसाद के रूप में खाए जाते हैं, जो मिठास और खुशी का प्रतीक होते हैं।

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दशहरा के अन्य पकवान

दशहरा का पर्व विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवानों के लिए भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से लोग मिठाइयों का सेवन करते हैं, जिसमें जलेबी, रसगुल्ला, और अन्य मिठाइयाँ शामिल होती हैं। इसके अलावा, इस दिन कई लोग खास भोजन जैसे पूड़ी, चने, और खीर भी बनाते हैं, जो इस उत्सव को और भी खास बनाते हैं।

दशहरा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • सफाई: इस दिन घर की सफाई और सजावट का विशेष ध्यान रखा जाता है। लोग अपने घरों को साफ करके दीयों और रंगोली से सजाते हैं।
  • सामाजिक समागम: दशहरा के दिन परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खाना-पीना और उत्सव मनाना महत्वपूर्ण होता है। यह सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।
  • आस्था और श्रद्धा: इस दिन लोग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं। यह आस्था का समय होता है, जब लोग धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
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दशहरा का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को जोड़ता है। जलेबी और पान की परंपरा हमें यह सिखाती है कि जीवन में मिठास और खुशियों को बांटना कितना महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें एकजुटता, श्रद्धा, और प्रेम का संदेश देता है। इसलिए, इस दशहरा पर जलेबी और पान का आनंद लें और अपनी खुशियों को अपने प्रियजनों के साथ बांटें। इसी तरह, बुराई पर अच्छाई की विजय के इस पर्व को हम सभी मिलकर मनाएं!

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