विदेश की जिल्‍लत भरी जिंदगी से दुखी है स्टूडेंट्स, घर आने को भी तरस रहे

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बेहतर जिंदगी की तलाश में विदेश पहुंचने वाले कई लोगों की हालत सांप के मुंह में फंसे छछूंदर सी हो जाती है. एक तरफ, विदेश की जिल्‍लत भरी जिंदगी उन्‍हें वहां रहने देती है, वहीं दूसरी तरफ उनके पुराने कारनामें उनकी घर वापसी के रास्‍ते में रोड़ा बन जाते हैं. कुछ ऐसी ही हालत रोजगार की आश में मलेशिया गए इशनप्रीत सिंह की हुई.

दरअसल, राजस्‍थान के कोटा शहर का रहने वाला इशनप्रीत सिंह बेहतर रोजगार की तलाश में विदेश जाना चाहता था. इसी कोशिश में उसकी मुलाकात एक स्‍थानीय एजेंट से हो गई. इस एजेंट ने इशनप्रीत सिंह को टूरिस्‍ट वीजा पर पहले बैंकॉक भेज दिया. वहां पर सक्रिय एजेंट्स ने उसके पासपोर्ट पर मलेशिया का फर्जी इमीग्रेशन स्‍टैंप लगाकार वहां भेज दिया.

मलेशिया पहुंचने के लिए इशनप्रीत के पास न ही कोई रहने का ठिकाना था और न ही उसके काम का कोई पक्‍का ठिकाना. हर वक्‍त उसे यह डर सताता रहता कि पुलिस उसे पकड़ न ले. दिन ब दिन इशनप्रीत की हालत मलेशिया में बिगड़ती चली गई. कुछ ही दिनों में इशनप्रीत की हालत यहां तक पहुंच गई कि वह किसी भी कीमत में वतन वापसी करना चाहता था.

घर वापसी में रोड़ा बनी पुरानी ‘चाहत’
इशनप्रीत के पैर बार-बार वतन वापसी की तरफ बढ़ते, लेकिन हर बार उसकी पुरानी ‘चाहत’ उसके राह में रोड़ा बन जाती. दरअसल, विदेश जाने की पुरानी चाहत को पूरा करने के लिए उसके पासपोर्ट पर मलेशिया का फर्जी इमीग्रेशन स्‍टैंप लगा दिया गया था. इशनप्रीत को पता था कि फर्जी मलेशियन स्‍टैंप के साथ पकड़े जाने पर उसे स्‍थानीय जेल में भेज दिया जाएगा. यदि ऐसा होता है तो भारत वापसी की उसकी तमाम कोशिशों पर पानी फिर जाएगा.

आखिर में, परेशान होकर इशनप्रीत ने घर वापसी के लिए नए गुनाह का रास्‍ता अख्तियार कर लिया. उसे यह पता था कि वह जो गुनाह करने जा रहा है, उसकी सजा के तौर पर उसे जेल जाना पड़ेगा, लेकिन वह जेल मलेशिया की नहीं, बल्कि भारत की होगी. बस यही सोच कर इशनप्रीत ने अपना पासपोर्ट उठाया और मलेशिया की सीमा पार कर बैंकॉक पहुंच गया. बैंकॉक पहुंचते ही उसने अपने पासपोर्ट से उन दोनों पेजों को फाड़ दिया, जिमसें मलेशिया के फर्जी इमीग्रेशन स्‍टैंप लगे थे.

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