दादा लख्मी की आवाज के जाने और आने में गूंगे का साथ – सोनू सीलन

एक महीने गूंगेपन का जीवन व्यतीत किया सोनू सीलन

गुरुग्राम  नीरू गुप्ता

दादा लख्मी फिल्म जोकि सूर्यकवि पंडित लख्मीचंद की संगीतमयी जीवन यात्रा है। लेकिन इस संगीत यात्रा के बीच एक ऐसा गूंगा व्यक्ति भी है जो दादा लख्मी की आवाज के जाने से वापिसी आने तक साक्षी रहा है। आवाज जाने का अपार दुःख और आवाज़ वापिस आने की अथाह ख़ुशी बिना किसी शब्द के पूरी फिल्म में सिर्फ भावनाओं के सैलाब से व्यक्त की सोनू सीलन ने । गूंगे के जीवन की पीड़ा और भावों को गहराई से जानने के लिए सोनू सीलन ने एक महीने गूंगेपन का जीवन व्यतीत किया। आइये जानते हैं उनकी अभिनय यात्रा के बारे में
1. दादा लख्मी फिल्म में आपकी भूमिका के बारे में बताएं।
दादा लख्मी फिल्म में मैंने गूंगे का किरदार निभाया है। जोकि लख्मी की देखभाल के लिए उस के पास रहता है जब आवाज़ जाने के बाद ठंडी जगह के लिए लख्मी कुँए में रहता है। जब मुझे फिल्म के निर्माता निर्देशक यशपाल शर्मा ने बताया कि दादा लखंमी फिल्म में मेरा भी एक किरदार है तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। मुझे स्वपन्न सा लग रहा था कि इस ऐतिहासिक फिल्म दादा लखमी का मैं भी हिस्सा बने जा रहा हूं।WhatsApp Image 2024 02 02 at 09.22.25
2. फ़िल्म में अपने किरदार के लिए किस प्रकार की विशेष मेहनत या ट्रेनिंग करनी पड़ी।
जब मुझे पता चला की मुझे फिल्म में गूंगे व्यक्ति का किरदार करना है तो मुझे लगा यह तो बहुत आसान है । लेकिन मैंने मेरे ही गाँव में एक गूंगे लड़के के जीवन को करीब से देखा तो बहुत ज्यादा मुश्किलों भरा लगा। उस लड़के को मैंने लगातार एक महीने तक फॉलो किया जैसे जैसे मैं उसको जानता गया वैसे ही मुझे उसके जीवन में आवाज़ के महत्व और गूंगेपन की पीड़ा समझ आई। गूंगे व्यक्ति के जीवन की बारीकियां सीखने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी इसके और सबसे बड़ी बात की श्री यशपाल शर्मा सर जी जिनका सिनेमा जगत में बहुत बड़ा नाम है उन्होंने मुझे किरदार की बारीकियां सिखाई ताकि मैं और बेहतर कर सकूं।
3. फिल्म में अन्य मंझे हुए किरदारों के साथ आपके किरदार को निभाने के लिए किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा ।

दादा लखमी फिल्म में सभी किरदार एक-से-बढ़कर एक हैं। सभी बेहतर एक्टर से ज्यादा बेहतर इंसान थे जो एक दूसरे को सपोट करते थे ऐसा लगा ही नहीं की हम किसी को जानते ही नहीं, सब परिवार की तरह ही लग रहा था। श्री यशपाल शर्मा जी पूरी टीम को बच्चों की तरह समझाते थे जिससे सभी के किरदार असल रूप से निखर कर पर्दे पर आये और सभी की मेहनत से दादा लख्मी फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला।
4. आपकी शिक्षा और परिवार के बारे में बताएं।
मेरा जन्म भिवानी जिले के बापोड़ा गांव में साधारण परिवार में हुआ। मेरे पिता एक ट्रक ड्राइवर और माता जी गृहणी रही हैं। मैं सभी भाई-बहनों में सबसे छोटा हूं। मेरे पिताजी की लम्बी बिमारी के चलते निधन हो गया। परिवार की जिम्मेदार मुझ पर आ गयी जिसके कारण मैं 12 कक्षा तक ही शिक्षा ले पाया। साल 2006 में किसी कार्यक्रम में थिएटर कलाकारों से मुलाकात हुई। उनके साथ मैंने एक कार्यक्रम के तहत रोड शो किया जिसमें मैंने एंकर की भूमिका निभाई। मुझे यह सब बहुत अच्छा लगा फिर मैं उनके साथ शो और नाटक में भूमिकांए करने लगा। इस तरह मेरे थियेटर और अभिनय जीवन की शुरुआत हुई।

  1. आपके अन्य मुख्य प्रोजेक्ट्स के बारे में बताएं।
    मेरे बहुतेरे प्रोजेक्ट्स आपको देखने को मिलते रहे हैं इनमे से मेरे मुख्य प्रोजेक्ट्स में नेशनल अवार्ड विनिंग हरियाणवी फिल्म दादा लख्मी को आप हरियाणवी ott स्टेज अप्प पर देख सकते हैं। इसके साथ ही स्टेज अप्प पर ही आप मेरे अन्य प्रोजेक्ट्स देख सकते हैं जिनमे मैंने मुख्य किरदार अदा किया है – छापा, अग्नि वीर, धारा फूफा जिंदा है, रंडा रामफल , घूंघट, सत्या अन्यायी । सोनाटेक चौपाल एप पर – स्कैम , डीजे वाले बाबू,
    साउथ मूवी -गॉडफादर, माइकल आदि हैं। इसके अलावा मेरा चुनाव क्षेत्र है।WhatsApp Image 2024 02 02 at 09.22.36
  2. अभिनय का बचपन से सोच लिया था या अगर एक्टर नहीं होतो तो क्या होते।
    अभिनय की इच्छा बचपन से ही थी। शायद ईश्वर की भी यही चाह थी इसीलिए बचपन में ही परिवारिक जिम्मेदारियों के चलते काम करने लगा ताकि घर खर्च चल सके इसी दौरान एक रोड शो में मेरी मुलाकात थियेटर आर्टिस्ट से हुई। उनके साथ ही मैं थियेटर की बारीकियां सीखने लगा और अभिनेता बनने की राह पर चल पड़ा। अपने आसपास होनेवाले कार्यक्रमों में भाग लेने लगा। गाँव में होने वाली रामलीला मैं हनुमान का रोल प्ले करने लगा। अगर मैं अभिनेता नहीं होता तो – फिर भी सिर्फ अनेकों रोड शो करता और नाटक करता।
  3. आपके मन की बात या कोई संदेश देना चाहे तो।

मेरा संदेश _ मेरा यही संदेश है युवाओं को बुरी संगत से बचना चाहिए । आप जिस भी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं उसके लिए कड़ी मेहनत करें । अपनी शिक्षा को निरंतर बढ़ाते रहना चाहिए, अपने गुरु जनों का सम्मान करें ।जो आपको आगे बढ़ने का मौका दे उन्हें हमेशा याद रखें ।

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