दिल्ली-एनसीआर सहित देश के तमाम मेट्रो सिटीज में ज्यादातर लोगों का अपने घर का सपना फ्लैट से ही पूरा होता है. इसमें सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ज्यादातर मकान खरीदार यह जान ही नहीं पाते कि बिल्डर जो फ्लैट उन्हें सौंप रहा है, उसमें किस क्वालिटी का मैटेरियल यूज हुआ है. ऊपर से चमचमाती और मार्बल जड़ी बिल्डिंग असल में घटिया क्वालिटी के इस्तेमाल के कारण अंदर से खोखली हो सकती है. इस तरह की बिल्डिंग न सिर्फ आपके पैसों लूट है, बल्कि जान का जोखिम भी पैदा करती है. अगर आपके साथ भी बिल्डर इसी तरह का धोखा कर जाए और घटिया क्वालिटी का फ्लैट टिका दे तो क्या करना चाहिए?
दरअसल, एनसीआर में इस तरह के दो मामले अब तक सामने आ चुके हैं. पहला तो नोएडा में था, जहां सुपरटेक के टि्वन टॉवर को गलत और घटिया निर्माण की वजह से अगस्त 2022 में गिरा दिया गया था. ताजा मामला गुरुग्राम का है, जहां चिंटेल्स पैराडाइजो हाउसिंग कॉम्पलेक्स (Chintels Paradiso Housing Complex) के 5 टॉवर को घटिया निर्माण की वजह से ढहाने का आदेश हो चुका है. इन टॉवर में 15 से 18 मंजिल के फ्लैट बने हुए हैं. खराब क्वालिटी की वजह से ढहाए जा रहे इन फ्लैट्स की जगह बिल्डर खरीदारों को नया फ्लैट बनाकर देंगे.
क्या होता है फ्लैट री-कंस्ट्रक्शन
रियल एस्टेट की फील्ड के लिए फ्लैट री-कंस्ट्रक्शन अभी नया टर्म है. दरअसल, अगर कोई फ्लैट या मकान बिल्डर की घटिया क्वालिटी की वजह से जानलेवा या खतरनाक बन गया है तो रियल एस्टेट कानून के हिसाब से बिल्डर को वह बिल्डिंग या फ्लैट दोबारा बनाकर देना होगा. पहले तो बिल्डर इस तरह का खेल करके बच जाते थे, लेकिन रेरा कानून आने के बाद इस तरह का निर्माण करने वाले बिल्डर्स पर कानून का शिकंजा कस गया है. इसी प्रक्रिया को फ्लैट री-कंस्ट्रक्श कहते हैं.
गुरुग्राम की चिंटेल्स पैराडाइजो सोसाइटी में भी बिल्डर ने 5 टॉवर घटिया क्वालिटी के बनाए थे. इस सोसाइटी के D, E, F, G और H टॉवर को गिराकर दोबारा बनाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट जारी कर चुका है. जाहिर है कि इन फ्लैट को जानलेवा और खतरनाक करार दिया गया था. लेकिन, सवाल ये उठता है कि आखिर एक मकान खरीदार कैसे किसी फ्लैट को री-कंस्ट्रक्शन कराने की मांग कर सकता है.