मौजूदा वित्त वर्ष को खत्म होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. देश में फाइनेंसियल ईयर (FY) हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को समाप्त होता है. इस दौरान देश की जनता सरकार को लाखों करोड़ रुपये का टैक्स देती है. देश में मुख्य तौर पर दो तरह की टैक्स की व्यवस्था है जिसे डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स कहते हैं.
डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स और कई तरह के अन्य टैक्स होते हैं जो नागरिकों के इनकम यानी कमाई पर लगाए जाते हैं, जबकि इनडायरेक्ट टैक्स सेवा शुल्क, आयत कर और जीएसटी जैसे टैक्स होते हैं. एसबीआई ने हाल ही में अपने एक रिपोर्ट में सबसे ज्यादा डायरेक्ट टैक्स भरने वाले राज्यों का खुलासा किया है, आइये जानते हैं…
डायरेक्ट टैक्स भरने में ये राज्य सबसे आगे
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स भरने के मामले में देश के पांच राज्य लगभग आधी हिस्सेदारी रखते हैं. कुल आईटीआर में लगभग 50 फीसदी सिर्फ 5 राज्यों के लोगों की है. इसमें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल हैं. वहीं, वित्त मंत्रालय के द्वारा लोकसभा में दी गई एक जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में डायरेक्ट टैक्स से हुई कुल कमाई में सिर्फ चार राज्य हैं- महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और तमिलनाडु. इन चार राज्यों ने मिलकर डायरेक्ट टैक्स में 70 फीसदी का योगदान दिया था. एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इनडाइरेक्ट टैक्स यानी जीएसटी भरने में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सबसे आगे हैं.
तेजी से बढ़ी टैक्स भरने वालों की संख्या
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 वर्षों में आईटीआर फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या दोगुनी से अधिक (7.78 करोड़) हो गई है. वित्त वर्ष 2023 में दाखिल आयकर रिटर्न (आईटीआर) की संख्या 7.78 करोड़ थी, जो 2013-14 में दाखिल 3.8 करोड़ आईटीआर की तुलना में 104.91% की वृद्धि को दर्शाती है.
क्या कहते हैं दिसंबर तक के आंकड़े?
वित्त वर्ष 2023-24 में दिसंबर तक नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 20.66% बढ़कर 13.7 लाख करोड़ रुपए हो गया. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, एक साल पहले इसी अवधि के दौरान यह 11,35,754 करोड़ रुपये था. 17 दिसंबर 2023 तक 2,25,251 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. केंद्र ने 9 नवंबर 2023 तक 10.60 लाख करोड़ रुपये का कुल डायरेक्ट टैक्स इकठ्ठा किया था.