राज कपूर और रूस: एक अनोखा कनेक्शन जो आज भी जीवित है

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भारतीय सिनेमा ने दशकों से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है, और इस परंपरा में बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। 50 और 60 के दशक में, राज कपूर ने भारतीय सिनेमा को न केवल भारत में बल्कि रूस जैसे देशों में भी प्रसिद्धि दिलाई। आज, जब हम देखते हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारतीय फिल्मों की तारीफ कर रहे हैं, तो यह साफ है कि राज कपूर का प्रभाव अभी भी जिंदा है।

राज कपूर और रूस: एक अनोखा कनेक्शन जो आज भी जीवित है
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राज कपूर का जादू

राज कपूर की फिल्में हमेशा से उनके जादुई storytelling और संवेदनशीलता के लिए जानी जाती रही हैं। उनकी फिल्म “आवारा” ने न केवल भारतीय दर्शकों का दिल जीता बल्कि रूस में भी एक जबरदस्त सफलता प्राप्त की। कहा जाता है कि इस फिल्म के 63 मिलियन टिकट बिके थे, जो कि किसी भारतीय फिल्म के लिए एक अभूतपूर्व रिकॉर्ड था। जब राज कपूर ने “मेरा नाम जोकर” जैसी फिल्मों पर काम किया, तो उनकी लोकप्रियता रूस में और भी बढ़ गई।

रूस में राज कपूर का जादू इतना गहरा था कि जब वह मास्को गए, तो उनके फैंस ने उनकी कार को कंधे पर उठा लिया। यह न केवल उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारतीय सिनेमा ने किस प्रकार विदेशी धरती पर अपनी जड़ें फैलाई हैं।

पुतिन का बॉलीवुड प्रेम

हाल ही में व्लादिमीर पुतिन ने एक बैठक के दौरान कहा कि रूस में भारतीय सिनेमा की लोकप्रियता किसी अन्य ब्रिक्स देश की तुलना में कहीं ज्यादा है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस में एक विशेष टीवी चैनल है जो दिन-रात भारतीय फिल्मों का प्रसारण करता है। पुतिन के अनुसार, “अगर आप सभी ब्रिक्स सदस्य देशों को देखें तो मुझे लगता है कि रूस में भारतीय सिनेमा किसी भी अन्य ब्रिक्स देश की तुलना में ज्यादा लोकप्रिय है।”

इससे यह साफ होता है कि रूस में भारतीय सिनेमा की एक मजबूत फैन फॉलोइंग है, और पुतिन इस बात को लेकर काफी सकारात्मक हैं। पुतिन ने संकेत दिया है कि उनकी आगामी बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने पर चर्चा की जा सकती है, जो कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।

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भारतीय फिल्मों का रूस में प्रभाव

राज कपूर की फिल्मों के अलावा भी कई भारतीय फिल्मों ने रूस में अच्छा प्रदर्शन किया है। ऋषि कपूर की “बॉबी”, मिथुन चक्रवर्ती की “डिस्को डांसर”, और हेमा मालिनी की “सीता गीता” जैसी फिल्मों ने भी रूस में दर्शकों का दिल जीता। इन फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन किया, बल्कि भारतीय सिनेमा की गुणवत्ता और विविधता को भी दर्शाया।

भारत और रूस का सांस्कृतिक संबंध

भारत और रूस के बीच का यह सांस्कृतिक संबंध आज के समय में और भी महत्वपूर्ण हो गया है। वैश्विक राजनीति और आर्थिक मामलों में दोनों देशों की भागीदारी महत्वपूर्ण होती जा रही है, और ऐसे में सिनेमा के माध्यम से दोनों देशों के बीच एक मजबूत कड़ी स्थापित की जा सकती है।

जब पुतिन ने भारतीय सिनेमा के प्रति रूस की रुचि को स्वीकार किया, तो यह दिखाता है कि कैसे कला और संस्कृति एक पुल के रूप में कार्य कर सकते हैं। भारतीय सिनेमा ने न केवल मनोरंजन प्रदान किया है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर भी रोशनी डालता है, जो विभिन्न देशों के बीच समझ को बढ़ावा देने में मदद करता है।

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राज कपूर की विरासत

राज कपूर का रूस से यह कनेक्शन उनकी विरासत का हिस्सा है, और यह दर्शाता है कि कैसे सिनेमा एक वैश्विक भाषा बन सकता है। आज के सिनेमा निर्माता और कलाकार इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, और भारत में फिल्म निर्माण का नया दौर शुरू हो चुका है। भारतीय फिल्में अब दुनिया भर में प्रदर्शित होती हैं और हर कोने में अपनी पहचान बना रही हैं।

राज कपूर और रूस के बीच का यह कनेक्शन न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा की शक्ति और इसकी वैश्विक पहुंच का प्रतीक है। आज, जब व्लादिमीर पुतिन भारतीय फिल्मों की प्रशंसा कर रहे हैं, तो यह स्पष्ट है कि राज कपूर का जादू अब भी जारी है। सिनेमा, जो कि एक मनोरंजन का माध्यम है, अब एक सांस्कृतिक ब्रिज के रूप में भी कार्य कर रहा है, जो विभिन्न देशों के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा देता है।

इस प्रकार, राज कपूर का कनेक्शन न केवल अतीत की एक कहानी है, बल्कि यह एक नई शुरुआत का भी संकेत है, जहां भारतीय सिनेमा एक वैश्विक मंच पर अपने पैर फैला रहा है।

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