भारत में बिजनेस जगत से जुड़े ऐसे कई लोगों के उदाहरण मिल जाएंगे जिन्होंने न तो अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और न ही कॉलेज से कोई डिग्री ली, फिर भी वह आज सफलता की बुलंदियों को छू रहे हैं और अरबों की कंपनियों के मालिक हैं. ऐसी ही एक कहानी है देश के एक सफल बिजनेसमैन शिव रतन अग्रवाल की जो आज 72 वर्ष की उम्र में 13,430 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं. हाल ही में उन्हें फोर्ब्स की वर्ल्ड बिलियनेयर लिस्ट 2024 में भी शामिल किया गया है.
शिव रतन अग्रवाल बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल (Bikaji Foods International) के फाउंडर और चेयरमैन हैं. केवल 8वीं तक की पढ़ाई कर स्कूल छोड़ने वाले शिवरतन की कंपनी आज स्नैक्स मार्केट पेप्सिको (PepsiCo) और फ्रिटो-ले (Frito-Lay) जैसी बड़ी कंपनियों की टक्कर दे रही है. आइये जानते हैं उन्होंने बीकाजी नमकीन को भारत के घर-घर तक कैसे पहुंचाया.
छोटे से दुकान से बनाई पहचान
बीकाजी की कहनी लगभग 80 साल पहले साल 1940 में राजस्थान के शहर बीकानेर में एक छोटी सी भट्टी पर भुजिया बनाने से शुरू हुई थी. आपको बता दें कि बीकाजी ब्रांड का नाम हमेशा से बीकाजी नहीं था. उनकी दुकान का नाम पहले ‘हल्दीराम भुजियावाला’ हुआ करता था, जिसकी शुरुआत की थी गंगाभिषण ‘हल्दीराम’ अग्रवाल ने. शुरू में ये एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी. उसी दुकान में भुजिया बनाई और बेची जाती थी. हल्दीराम खुद अपने हाथों से भुजिया बनाते थे. उनकी दुकान धीरे-धीरे पूरे शहर में प्रसिद्ध हो गई. इसके बाद ये शहरों और राज्यों में फैल गई. हल्दीराम बाद में कोलकाता चले गए और वहीं जाकर बस गए. आपको बता दें कि शिवरतन अग्रवाल ‘हल्दीराम’ भुजियावाला के पोते हैं. उनके पिता मूलचंद भी राजस्थान में भुजिया बनाने का कारोबार करते थे. पढ़ाई में मन नहीं लगने के वजह से 8वीं पास करने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी पिता के साथ भुजिया बनाने के काम में लग गए.
शिवरतन ने रखी बीकाजी की नींव
हल्दीराम के बाद ‘हल्दीराम भुजियावाला’ का बिजनेस उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल के पास चला गया. मूलचंद अग्रवाल के चार बेटे शिवकिसन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल, मधु अग्रवाल और शिवरतन अग्रवाल थे. शिवकिसन, मनोहरलाल और मधु ने मिलकर भुजिया का एक नया ब्रांड शुरू किया और नाम रखा अपने दादाजी के नाम पर- ‘हल्दीराम’. लेकिन चौथे बेटे शिवरतन अग्रवाल ने तीनों भाइयों के साथ मिलकर कारोबार करने की बजाय 1980 में एक नए ब्रांड की शुरुआत की जिसका नाम बीकाजी रखा.