Simha Sankranti: तिथि, Time और अनुष्ठान

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सूर्य का Simha राशि में प्रवेश: Simha Sankranti का महत्त्व और अनुष्ठान

हिंदू पंचांग में संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण है। संक्रांति वह दिन है जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है। Simha Sankranti भी कहलाती है, जब सूर्य कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करता है। ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टिकोण से इस घटना बहुत महत्वपूर्ण है। सिंह संक्रांति 16 अगस्त को मनाई जाती है, जिससे कई धार्मिक क्रियाएं और परंपराएं संपन्न होती हैं।

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Simha Sankranti की तिथि और समय

इस वर्ष, सिंह संक्रांति 16 अगस्त को पड़ेगी। डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार, सूर्य 16 अगस्त को शाम 7:54 बजे कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश करेगा। इस दिन, सूर्य को सफेद वस्त्र धारण किए हुए एक शेर पर सवार होकर पूर्व दिशा की ओर जाते हुए माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से पवित्र माना जाता है और इसे धर्म-कर्म के कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

Simha Sankranti: तिथि, Time और अनुष्ठान
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योग और नक्षत्र:

Simha Sankranti के दौरान प्रीति योग और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का संयोग होगा। प्रीति योग 16 अगस्त को दोपहर 1:12 बजे शुरू होगा और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र दोपहर 12:44 बजे से प्रारंभ होगा।

पुण्यकाल और महा पुण्यकाल:

सिंह संक्रांति का पुण्यकाल 16 अगस्त को 6 घंटे और 34 मिनट तक रहेगा। यह पुण्यकाल दोपहर 12:25 बजे शुरू होगा और शाम 6:59 बजे तक चलेगा। इस बीच, महा पुण्यकाल का समय 2 घंटे और 11 मिनट तक रहेगा, जो शाम 4:48 बजे से शाम 6:59 बजे तक होगा।

Simha Sankranti के अनुष्ठान

सिंह संक्रांति के दिन अनेक धार्मिक अनुष्ठान और परंपराएँ निभाई जाती हैं। डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार, इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्त्व होता है।

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स्नान और वस्त्र धारण:

सबसे पहले, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए। स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए।

सूर्य देव को अर्पण:

सूर्य देव को भोजन, इत्र, नागकेसर के फूल, और आभूषण जैसे पायल अर्पित करने चाहिए। यह अर्पण महा पुण्यकाल के दौरान करना शुभ माना जाता है।

पूर्वजों का तर्पण:

स्नान और पूजा के बाद, अपने मृत पूर्वजों को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें शांति मिलती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

दान और धर्म कार्य:

स्नान और तर्पण के बाद, दान करने का विशेष महत्त्व है। इस दिन अन्न, वस्त्र, फल, और अन्य आवश्यक वस्त्रों का दान करना चाहिए। सूर्य देव को प्रसन्न करने और संक्रांति के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के लिए गेहूँ, लाल वस्त्र, लाल चंदन, तांबा, गुड़, और घी का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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Simha Sankranti का ज्योतिषीय महत्त्व

सिंह संक्रांति का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी विशेष महत्त्व है। इस दिन सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। ज्योतिषी इस दिन की ग्रह स्थिति और योगों के आधार पर भविष्यवाणियाँ करते हैं और उपाय सुझाते हैं।

सकारात्मक प्रभाव:

सिंह राशि में सूर्य का प्रवेश साहस, शक्ति, और नेतृत्व की ऊर्जा को बढ़ाता है। यह समय आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाने का होता है।

नकारात्मक प्रभाव:

कुछ राशियों के लिए, यह समय चुनौतियों और संघर्ष का भी हो सकता है। ऐसे समय में, ज्योतिषीय उपाय और दान-पुण्य के कार्य विशेष रूप से लाभकारी होते हैं।

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Simha Sankranti के अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू

सिंह संक्रांति केवल एक ज्योतिषीय घटना नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। विभिन्न राज्यों में इसे विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है।

केरल में सिंह संक्रांति:

केरल में इसे अवनी अवित्तम के रूप में मनाया जाता है, जहाँ लोग पवित्र धागा बदलते हैं और वेद पाठ करते हैं।

तमिलनाडु में सिंह संक्रांति:

तमिलनाडु में इसे अवणी अवित्तम या उपाकर्म के रूप में मनाया जाता है, जहाँ लोग यज्ञोपवीत धारण करते हैं और पवित्र धागा बदलते हैं।

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Simha Sankranti के दिन का आहार और स्वास्थ्य

सिंह संक्रांति के दिन का आहार भी विशेष महत्त्व रखता है। इस दिन शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। अन्न और फल का दान भी विशेष महत्त्व रखता है।

सात्विक आहार:

इस दिन ताजे फल, दूध, और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।

स्वास्थ्य के लाभ:

सिंह संक्रांति के दौरान पवित्र नदी में स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यह न केवल शारीरिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।

Simha Sankranti का सामाजिक और पारिवारिक महत्त्व

सिंह संक्रांति का सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्त्व है। यह समय परिवार और समाज के साथ मिलकर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का होता है।

पारिवारिक एकता:

सिंह संक्रांति के दिन परिवार के सदस्य मिलकर पूजा और दान करते हैं, जिससे पारिवारिक एकता और समरसता बढ़ती है।

सामाजिक सेवा:

इस दिन दान-पुण्य के कार्यों में भाग लेकर समाज की सेवा की जाती है। यह समय गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने का होता है।

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Simha Sankranti के अनुष्ठानों का वैज्ञानिक आधार

Simha Sankranti के अनुष्ठानों का वैज्ञानिक आधार भी है। पवित्र नदी में स्नान करने से शरीर की शुद्धि होती है और मानसिक शांति मिलती है। दान-पुण्य के कार्य से सामाजिक संतुलन और सामंजस्य बनता है।

स्वास्थ्य लाभ:

स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।

सामाजिक संतुलन:

दान-पुण्य के कार्य से समाज में संतुलन और सामंजस्य बनता है। यह गरीब और जरूरतमंदों की मदद करता है और सामाजिक संतुलन बनाए रखता है।

Simha Sankranti धार्मिक, ज्योतिषीय, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। आजकल के रिवाज और अनुष्ठान न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक शांति लाते हैं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करते हैं। इस दिन दान-पुण्य और अनुष्ठान करने से हम अपने जीवन में संतुलन और समन्वय बनाए रख सकते हैं। सिंह संक्रांति का पवित्र दिन हमें अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दायित्वों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है और हमारे जीवन में शांति और ऊर्जा लाता है।

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