शहीदों के सपनों का भारत बनाने में योगदान दें : प्रो. नरसी राम बिश्नोई
कारगिल योद्धा ने सुनाई युद्ध की अनसुनी कहानियां
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा है कि शहीदों ने राष्ट्र की एकता, अखंडता, सम्प्रभुता और गौरव के लिए अपना बलिदान दिया है। शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिए हम सबको राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना होगा। धर्म, जाति, महजब से ऊपर उठकर शहीदों ने राष्ट्र के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया। वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी बनती है कि इस बलिदान की गौरवगाथा को आने वाली पीढ़ियों को भी बताएं।
प्रो. नरसी राम बिश्नोई बुधवार को विश्वविद्यालय तथा तृतीय हरियाणा गर्ल्स बटालियन एनसीसी हिसार के सौजन्य से कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे। एनसीसी बटालियन की कैडेटस द्वारा कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अवनीश वर्मा, मेजर आंकाक्षा, सुबेदार महीपाल, तकनीकी सलाहकार प्रशासनिक प्रो. विनोद छोकर तथा एनसीसी कोर्डिनेटर प्रो. राजीव कुमार भी उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में हुए इस समारोह में प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि भारत की सुरक्षा अभेदय है। राष्ट्र के वीर जवानों को कोई भी ताकत हरा नहीं सकती। भारत हमेशा शांति और सदभाव के मार्ग पर आगे बढ़ता रहा है। आक्रमण भारत की नीति नहीं है। इसके बावजूद पाकिस्तान ने कई बार छल किया है और हर बार मुह की खाई है। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस हमें उन सैनिकों की याद दिला रहा है, जिन्होंने माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में युद्ध लड़ा और जीता। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिजनों का सम्मान व देखभाल पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी है।
समारोह में मेजर जयपाल के अतिरिक्त कारगिल योद्धा मेजर रामकर्ण दलाल तथा हवलदार जगमोहन के साथ जम्भशक्ति के निदेशक विकास गोदारा को भी सम्मानित किया गया। समारोह में विश्वविद्यालय के अतिरिक्त हिसार के डीएन कॉलेज, एफसी कॉलेज, गवर्नमैंट पीजी कॉलेज, सीआरएम जाट कॉलेज तथा गवर्नमैंट कॉलेज आदमपुर के अतिरिक्त सैंट मेरी स्कूल व ठाकुर दास भार्गव सीनियर सैकेंडरी स्कूल के कैडेटस ने देशभक्ति से ओत-प्रोत शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की केयरटेकर ऑफिसर डा. मीनाक्षी भाटिया, एनएसएस कोर्डिनेटर डा. अंजु गुप्ता, एनसीसी गर्ल्स बटालियन की जीसीआई संगीता व निशा, विभिन्न महाविद्यालयों व विद्यालयों के एएनओ, सीटीओ तथा एनएसएस के स्वयंसेवक भी उपस्थित रहे।
बेटे को दी गई पिता की शहादत की सूचना
समारोह में कारगिल युद्ध लड़ चुके सुबेदार मेजर जयपाल ने इस युद्ध की रौंगटे खड़े कर देने वाली कहानिया सुनाई। उन्होंने युद्ध का सम्पूण चित्र सजीव करते हुए बताया कि अत्यंत दुर्गम तथा विपरीत परिस्थितियों में यह युद्ध लड़ा गया। मेजर जयपाल ने बताया कि गांव घिराय के हवलदार महाबीर सिंह तथा उनके पुत्र कर्ण सिंह दोनों ही इस युद्ध में लड़ रहे थे। हवलदार महाबीर सिंह की युद्ध में शहादत हो गई, तब हवलदार महाबीर सिंह के पुत्र कर्ण सिंह को इसकी सूचना दी गई और वह अपने पिता के पार्थिव शरीर को लेकर गांव आया। ऐसे ही कई सगे भाई अपने भाईयों के पार्थिव शरीर लेकर अपने गांव आए। एक सैनिक ने अपनी सगाई की अंगूठी अपने वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को इसलिए दे दी कि कहीं उसकी शहादत के बाद यह अंगूठी दुश्मन के हाथ न लग जाए।
