देश की राजधानी दिल्ली में एक दिलचस्प मामला सामने आया है. यहां एक स्कूल ने पांचवीं कक्षा के एक बच्चे को फेल करके कक्षा छह में प्रमोट करने से इनकार कर दिया. जिसके बाद 10 साल का यह बच्चा दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया. अधिकार की इस लड़ाई में अभिभावकों और वकील ने भी उसका साथ दिया. अंतत: उसने अपना हक हासिल किया.
यह मामला अलकनंदा स्थित एक निजी स्कूल का है. 10 साल के बच्चे ने साल 2023-24 के पांचवीं कक्षा की परीक्षा दी. लेकिन स्कूल ने पहले तो बिना रिजल्ट बताए महज 15 दिन के भीतर 6 मार्च और 18 मार्च को दो बार परीक्षा ली. फिर फेल करके अगली कक्षा में प्रमोट करने से इनकार कर दिया. छात्र ने इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उसने कहा कि यतह शिक्षा के अधिनियम की धारा 16 (3) का उल्लंघन है.
बच्चे के पिता के मार्फत दायर याचिका स्वीकार करते हुए जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने कहा कि संतुलन का सिद्धांत बच्चे के हक में है. अगर उसे प्रमोट नहीं किया जाता है तो इससे उसकी शिक्षा प्रभावित होगी. जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. जबकि स्कूल उसे छठवीं कक्षा में बैठने देता है तो इससे स्कूल पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. बच्चे ने स्कूल पर आरोप लगाया कि उसे गलत ढंग से फेल किया गया. इससे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन हुआ है.
कोर्ट ने मांगा स्कूल और शिक्षा निदेशालय से जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए निजी स्कूल और शिक्षा निदेशालय से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है. मामले पर अगली सुनवाई चार जुलाई को होगी.
तैयारी का समय नहीं दिया गया
कोर्ट में याचिका करने वाले बच्चे का कहना है कि स्कूल ने उसे फेल होने की जानकारी नहीं दी. इसके अलावा उसे परीक्षा के लिए दो महीने का वक्त भी दिया जाना चाहिए था. ताकि वह परीक्षा की तैयारी कर सके. हालांकि स्कूल का कहना था कि दो महीने के भीतर कभी भी परीक्षा ली जा सकती है.