80 साल की उम्र में मिस यूनिवर्स: चोई सून-ह्वा का अनोखा सफर

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मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता हमेशा से युवा और सुंदर महिलाओं का प्रतीक रही है। लेकिन साउथ कोरिया की चोई सून-ह्वा ने इस परंपरा को तोड़ते हुए एक नया मापदंड स्थापित किया है। 80 साल की उम्र में उन्होंने मिस यूनिवर्स कोरिया प्रतियोगिता में भाग लेकर यह साबित कर दिया है कि सपने किसी भी उम्र में देखे और पूरे किए जा सकते हैं। यह घटना न केवल उनके व्यक्तिगत साहस का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में वृद्ध महिलाओं की छवि को भी नया आकार देती है।

मिस यूनिवर्स
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एक नई परिभाषा

चोई सून-ह्वा का यह कदम एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश लेकर आया है। उन्होंने कहा, “मैं दुनिया को यह दिखाना चाहती थी कि उम्र केवल एक संख्या है। हम बूढ़े होने पर भी स्वस्थ और आत्मविश्वास से भरे रह सकते हैं।” उनका उद्देश्य केवल व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि एक व्यापक संदेश फैलाना भी था कि उम्र के साथ भी हमें अपने सपनों का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए।

चोई का जन्म 1952 में हुआ था, जब मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता की शुरुआत को अभी कुछ साल ही हुए थे। उस समय, प्रतियोगिता में भाग लेने की उम्र 18 से 24 वर्ष के बीच थी। लेकिन हाल के वर्षों में, प्रतियोगिता के आयोजकों ने इसे आधुनिक बनाने का निर्णय लिया, जिसके तहत उम्र की सीमा को हटा दिया गया। चोई ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए प्रतियोगिता में भाग लेने का साहसिक निर्णय लिया।

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प्रतिस्पर्धा की तैयारी

चोई ने अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम और संतुलित आहार का पालन किया। उन्होंने अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण क्षण के लिए कई महीनों तक तैयारी की। “जब आप बूढ़े होते हैं, तो वजन बढ़ना एक सामान्य बात है। मैंने यह साबित करना चाहा कि हम अपनी उम्र के बावजूद स्वस्थ रह सकते हैं,” उन्होंने कहा।

उनकी प्रेरणादायक यात्रा ने न केवल उन्हें खुद को साबित करने का अवसर दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि समाज में स्वस्थ जीवनशैली के लिए कोई उम्र नहीं होती। चोई की टक्कर 31 अन्य युवा और प्रतिभाशाली फाइनलिस्टों से थी। इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेकर उन्होंने न केवल अपने सपने को साकार किया, बल्कि एक नई मिसाल भी कायम की।

मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता का विकास

मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में उम्र की सीमा को समाप्त करने का निर्णय इस बात का प्रमाण है कि समाज अब महिलाओं की विविधता और उनकी क्षमताओं को स्वीकार कर रहा है। यह एक सकारात्मक बदलाव है, जो न केवल प्रतियोगिता को समकालीन बनाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि सभी उम्र की महिलाएं इस मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकती हैं।

इसके अलावा, चोई जैसे प्रतिभागियों के शामिल होने से यह संदेश भी मिलता है कि विवाह, गर्भावस्था, या उम्र की वजह से किसी के सपनों को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। चोई की उपस्थिति ने यह साबित कर दिया है कि महिला सशक्तीकरण केवल एक युवा परिदृश्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर उम्र की महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

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समाज में बदलाव का संकेत

चोई सून-ह्वा की कहानी ने समाज में उम्र के प्रति रूढ़ियों को चुनौती दी है। उनका नाम सुनते ही लोग यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि उम्र के साथ भी किसी के सपनों की उड़ान खत्म नहीं होती। उन्होंने यह भी बताया कि जब वह मंच पर थीं, तो उन्हें कितना गर्व महसूस हुआ। “मैं चाहती थी कि लोग यह जानें कि हम वृद्ध महिलाएं भी सुंदरता और आत्मविश्वास की मिसाल हो सकती हैं,” चोई ने कहा।

चोई सून-ह्वा का मिस यूनिवर्स कोरिया प्रतियोगिता में भाग लेना न केवल उनके व्यक्तिगत साहस का प्रतीक है, बल्कि यह एक नया अध्याय भी है जिसमें उम्र के बंधनों को तोड़ा गया है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि उम्र केवल एक संख्या है, और सपने कभी भी देखे जा सकते हैं। उनकी यात्रा ने समाज में सकारात्मक बदलाव का संकेत दिया है और हमें याद दिलाया है कि आत्मविश्वास और स्वास्थ्य किसी भी उम्र में महत्वपूर्ण हैं।

इस प्रकार, चोई सून-ह्वा ने न केवल अपने लिए, बल्कि सभी वृद्ध महिलाओं के लिए एक नई दिशा दिखाई है। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि सपनों का पीछा कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है। उनकी यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत विजय है, बल्कि यह एक नया युग भी है, जिसमें हर उम्र की महिलाओं को उनके सपनों को पूरा करने का मौका दिया जा रहा है।

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