ब्रह्माकुमारी बहन शिवानी ने कहा है कि अपने मन का नियंत्रण अपने पास रखें। व्यक्ति को स्वयं के अतिरिक्त कोई और दुखी नहीं कर सकता। अपने मन की स्थितियों के लिए व्यक्ति स्वयं जिम्मेदार है। खुद के राजा स्वयं बनो। नकारात्मक शक्तियों को सकारात्मक शक्तियों से दूर भगाओ। प्रकृति का सम्मान करें। भारत निश्चित तौर पर फिर से विश्व गुरु बनेगा। बहन शिवानी गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन एवं परामर्श प्रकोष्ठ तथा प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय, हिसार के संयुक्त तत्वाधान में ‘इमोशनल वैल बींग एंड हैप्पीनेस’ विषय पर हुई कार्यशाला को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रही थी। विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार में हुई इस कार्यशाला में हरियाणा विधान सभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा, विधायक विनोद भयाना व जोगीराम सिहाग के अतिरिक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज काम्बोज, हिसार के मेयर गौतम सरदाना, कुलसचिव प्रो. अवनीश वर्मा, मनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन एवं परामर्श प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. संदीप राणा, कई अन्य पूर्व तथा वर्तमान राजनेता तथा प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे।
बहन शिवानी ने कहा कि कहा कि हमारे मन की स्थिति जैसे अधैर्य, गुस्सा, अशांति, चिड़चड़ापन चाहे जो भी हो, अगर हम शांतचित से देखेंगे तो पाएंगे कि हम इन परिस्थितियों पर नियंत्रण पा सकते थे। जिस प्रकार एक सीडी में बहुत से गीत भरे होते हैं, ये हम तय करते हैं कि हमने कौन सा गीत बजाना है। ठीक उसी प्रकार हमारे मन में भी अनेक परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। हमें तय करना है कि हमें किस परिस्थिति में रहना है। खुशी खरीदने से नहीं मिलती। खुशी पद और प्रतिष्ठा ने भी नहीं मिलती । खुशी हमारे मन की स्थिति के नियंत्रण से निशुल्क मिल सकती है। हम अधिकतर बाहर दूसरों के व्यवहार के कारण खुद को दुखी करते हैं। अपनी आत्मा रूपी बैटरी को डिस्चार्ज करते हैं, जबकि दूसरे व्यक्ति ने तो अपने स्वभाव के अनुसार वो जैसा है वैसा रहना है। हम स्वयं को किसी और के कारण क्यों अस्थिर करें? उन्होंने कहा कि हम अपनी जीवनशैली को बदलें। मोबाइल व टीवी जैसे उपकरणों पर निर्भर न रहकर उनका यथोचित उपयेाग करें। रात को सोने से पहले तथा सुबह उठने के बाद कम से कम एक घंटा मोबाइल व टीवी का उपयोग न करें। निश्चित तौर पर सकारात्मक बदलाव होंगे। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि जरा सोच कर देखें कि खुद को बदलना आसान है या बच्चों को बदलना। अगर खुद को बदल लेंगे तो बच्चे खुद बदल जाएंगे। बहन शिवानी ने प्रकृति संरक्षण पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि अगर हम प्रकृति का सम्मान करेंगे तो प्रकृति हमारा सम्मान करेगी। अगर नहीं करेंगे तो प्रकृति कूपित होकर विध्वंस का कारण बनेगी। जितना हम प्रकृति से लेते हैं उससे अधिक देने की आदत डालें। जरूरत से अधिक वस्तुओं का उपयोग करने की आदत छोड़ें। भारत के पास समृद्ध आध्यात्मिक, सामाजिक व वैज्ञानिक धरोहर है। यदि हम इसको फिर से स्थापित कर लें तो भारत का विश्व गुरु बनना तय है। क्योंकि पूरी दुनिया भारत का अनुसरण करने के लिए तैयार है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज काम्बोज ने बहन शिवानी को स्मृति चिन्ह् भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम की शुरुआत टीना के एक्शन गीत के साथ हुई। मंच संचालन डा. रामप्रकाश ने किया।