47 साल बाद खुबड़ू हेड से जेएलएन फीडर में 16 दिन तक रिकॉर्ड 3500 क्यूसिक पानी चलाने का ट्रायल सफल हुआ। साथ ही दक्षिण हरियाणा को भरपुर नहरी पानी का ग्रीन सिग्नल मिल गया । लिहाजा अब महेंद्रगढ़, लोहारू, रेवाड़ी ,भिवानी, झज्जर और रोहतक आदि जिलों में आमजन की प्यास बुझाने के अलावा खेतों में सिंचाई के लिए भी प्राप्त पानी मिलने की उम्मीद जगी है। हथिनी कुंड बैराज में जल की उपलब्धता पर सीजन में पिछले शेड्यूल से ढाई गुना अधिक क्षमता के जवाहरलाल नेहरू नहर चला करेगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की विशेष पहल पर विभाग में जेएलएन का निर्माण प्रोजेक्ट तैयार किया। इसमें नहर का बेड और दोनों और की किनारो की कंक्रीट से मजबूत करने थे। इस प्रोजेक्ट को 18 माह के अंदर पूरा किया गया। जिस पर 300 करोड रुपए की धनराशि खर्च हुई।
कब शुरू हुआ था जेएलएन का निर्माण
जीएलएम का निर्माण 1973 में शुरू हुआ था और 1975 में इसका निर्माण पूरा हो गया। खुबडूहेड 0 आरडी से कन्हेली रोहतक आरडी 156 तक इस नहर की डिजाइन 3167 क्यूसिक के हिसाब से डिजाइन की गई थी। इसके बाद कन्हेली हेड से दक्षिण हरियाणा के बाकरा हेड आरडी 235 तक इसे 3672 क्यूसिक के हिसाब से डिजाइन किया गया था। लेकिन नहर पुरानी होने के कारण इसमें डिजाइन कपेस्टी के हिसाब से पानी नहीं बह पा रहा था। इसके मैनेजर सीएम मनोहर लाल ने 2014 में ही सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर डॉक्टर सतबीर सिंह कादियान को दक्षिणी हरियाणा के आखिरी छोर तक समय बाद सीमा में अधिकतम पानी ले जाने का टारगेट दिया। उन्होंने कहा की जेएलएन का नवीनीकरण प्रोजेक्ट कम से कम 100 वर्षों की मजबूती के मद्देनज़र तैयार किया जाए।