पहाड़ी इलाकों में मिलने वाला यह फल, है बड़े काम का, कर देगा हर बीमारी दूर

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पहाड़ के जंगलों में तमाम ऐसे पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए औषधि की तरह काम करते हैं. हिसालू इनमें से एक है. इसका बॉटनिकल नाम रूबस एलिप्टिकस (Rubus Elipticus) है. कई लोग इसे ‘हिमालयन रसबरी’ (Himalayan Raspberry) के नाम से भी जानते हैं. उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला हिसालू रस से भरा हुआ फल है. यह फल अप्रैल-मई और जून के महीने में रूखी-सूखी जमीन पर होने वाली झाड़ी पर उगता है.

हिसालू का फल 700 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर मिलता है. ये फल काले और पीले दो तरह के होते हैं. काले रंग का हिसालू काफी कम पाया जाता है, जबकि, पीले रंग के हिसालू ज्यादातर देखने को मिल जाते हैं. यह फल बेहद ही कोमल होता है. हल्के हाथ से दबाते ही इसका रस निकलने लगता है. सबसे बड़ी बात कि, हिसालू फल टूटने के 2 से 3 घंटे के अंदर ही खराब हो जाता है. यह दिखने में जितना स्वादिष्ट और आकर्षक है, उतना ही औषधीय गुणों से भरपूर भी है. इसके सेवन से संक्रमण से बचाव हो सकता है. आइए जानते हैं इसके कई और लाभ के बारे में-

हिसालू के 5 चमत्कारी लाभ

इम्यूनिटी बूस्ट करे: हिसालू के खट्टे-मीठे फलों में प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है. इन पोषक तत्वों की वजह से यह फल शरीर के लिए काफी गुणकारी माना जाता है. इसके सेवन से शरीर की इम्युनिटी बूस्ट होती है, जिससे संक्रमण का खतरा टल सकता है.

गला दर्द से राहत: हिसालू में गला दर्द को ठीक करने के गुण पाए जाते हैं. यदि आप इसके फलों से प्राप्त रस का सेवन करते हैं तो तेजी से गला दर्द से निजात पा सकते हैं. इतना ही नहीं, बुखार, पेट दर्द और खांसी में भी फायदेमंद होता है.

किडनी में असरदार: एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर हिसालू किडनी की परेशानी कम करने में असरदार है. इसके इन्हीं गुणों के चलते इसे किडनी टॉनिक के रूप में भी सेवन किया जाता है. इसके नियमित सेवन से किडनी के जोखिम से निजात पाया जा सकता है.

डायबिटीज कंट्रोल करे: हिसालू के फलों से प्राप्त एक्सट्रेक्ट के अंदर डायबिटीज जैसी बीमारी को भी कंट्रोल करने के गुण देखे गए हैं. हालांकि, यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो एक्सपर्ट की ही सलाह से इसका सेवन करें.

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