कभी सोचा है कि बेटे इतने एग्रेसिव क्यों होते हैं? इसकी सबसे बड़ी वजह बचपन से उसे अपने इमोशन को रोकने के लिए मोटिवेट करना और समाज द्वारा तय किया गया टॉक्सिक मेंटालिटी को कहा जा सकता है. दरअसल, जब एक लड़का छोटा होता है और किसी बात को लेकर वह आहत होता है तो उसे यह कहकर चुप करा दिया जाता है कि ‘तू लड़का होकर क्यों रोता है, ऐसे तो लड़कियां रोती हैं’. इस तरह जब वह अपने इमोशनल को अंदर ही अंदर दबाना सीख जाता है तो उसे मजबूत कहा जाता है और उसकी बड़ाई होती है लेकिन गुस्सैल बनने की कहानी दरअसल यहीं से शुरू होती है. ऐसे दबे इमोशन बेवजह की बातों के साथ बाहर निकलने लगते हैं और बड़े होते-होते वह घर वालों या बाहरी लोगों के साथ झगड़ा या मारपीट करने लगता है. अगर आप अपने बेटे को इमोशनली फ्री रखें और अपनी भावनाओं को सही तरीके से एक्सप्रेस करने वाली बातें कहें तो यकीन मानिए, वह बेहतर इंसान बनेगा और उसका इमोशनल डेवलपमेंट भी बेहतर तरीके से होगा.
बेटों की परवरिश के दौरान जरूर कहें उन्हें ये बातें (To increase emotional development and self-esteem in your sons)–
-रोना कमजोरी की निशानी नहीं, बल्कि यह इमोशन एक्सप्रेस करने का एक सबसे ताकतवर तरीका है. ऐसा करने से आप बेहतर महसूस करेंगे और शांत मन से निर्णय ले पाएंगे.
-अपने हर इमोशन को एक्सप्रेस करना मसलन, गुस्सा करना, रोना, दुखी होना, हर इंसान के लिए जरूरी होता है और यह एक हेल्दी तरीका भी है.