ग्रो करवानी है बच्चे की मांसपेशियां, यह फूड्स भर देंगी फौलाद

0

घर में शिशु के जन्म की मां को ही नहीं, पूरे परिवार को खुशी होती है. लेकिन, इससे भी ज्यादा की जरूरत उनकी मांसपेशियां देखरेख की होती है. क्योंकि, जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है उसकी एक्टिविटी बढ़ने लगती हैं. इन एक्टीविटीज ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इन्हीं एक्टीविटीज में नवजात का टमी टाइम (Tummy Time) भी होता है. जी हां, टमी टाइम का मतलब है कि बच्चे का पेट बल लेटना.

दरअसल जन्म के कुछ माह बाद ही बच्चा हाथ-पैर चलाते हुए पेट के बल लेट जाते हैं. ये एक्टीविटीज उनके विकास और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए बेहद जरूरी है. यदि बच्चा पेट के बल नहीं भी जा रहा है तो उसे थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर कराना भी जरूरी है. अब सवाल है कि टमी टाइम क्यों जरूरी है? कितने टाइम के लिए इसे कराना चाहिए? किस उम्र से कर सकते शुरू और इसके फायदे क्या हैं? इस बारे में News18 को बता रहे हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिशियन डॉ. कैलाश सोनी-

क्या होता है टमी टाइम?

नवजात के लिए टमी टाइम के फायदे?

बच्चों को पेट के बल कितने समय लिटाएं?

सेहत लाभ के लिए बच्चे को टमी टाइम कब से कराएं? लिटाने के लिए कितना समय है पर्याप्त? ये सवाल हर किसी को जानना बेहद जरूरी है. तो बता दें कि, बच्चे के जन्म के 2 या 3 दिन बाद से ही टमी टाइम सेशन शुरू कर सकते हैं. ध्यान रहे कि, ये एक्टीविटी देखरेख में केवल 3 से 5 मिनट तक ही करें. साथ ही, जब बच्चे का पेट भरा हो या उसने फीड लिया हो, तो उस समय टमी सेशन न दें. हालांकि, उम्र बढ़ने के साथ आप बच्चे को दिनभर में 4 से 5 बार 5 से 10 मिनट के लिए भी पेट के बल लिटा सकते हैं. कुछ मिलाकर 2 महीने की उम्र तक बच्चों को हर दिन 15 मिनट से 30 मिनट तक थोड़े-थोड़े अंतराल में पेट के बल लिटा सकते हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here