विधवा बहन का 10 लाख रुपये से भरा भात, भाई नहीं था तो ग्रामीणों ने पेश की शानदार मिसाल

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TNT News : ये तस्वीरें हैं आपसी प्रेम और सदभाव की। ये तस्वीरें हैं हमारे गांव में जीवंत प्रेम की। यह वह तस्वीरें हैं जो असल में भारत की पहचान हैं। यह तस्वीरे दर्शती हैं कि जब हमारी बहन और बेटियों के चेहरे पर मायूसी छाने लगती है तो अनगिनत भाई उसका संबल बन खड़े हो जाते हैं। ये तस्वीरें हैं राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की जो पूरे देश के लिए मिसाल बन गई है।

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दरअसल नेठराना गांव में जन्‍मी और हरियाणा के जांडवाला गांव की ब्‍हाता मीरा की बेटियों की शादी में खास किस्‍म का भात भरा गया है। मीरा के पति, पिता और भाई सभी का देहांत हो चुका है। मीरा की बस दो बेटियां है जिनकी शादी तय की गई। मगर भात भरने के लिए कौन आए। जैसे-जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे थे, मीरा का कलेजा मुंह को आ रहा था।

शादी के कुछ दिन बचे तो परंपरा के मुताबिक मीरा अपने गांव नेठराना पहुंची। यहां वो उस कुटिया में पहुंची जहां कभी उसका भाई रहता था। उसी कुटिया को तिलक कर भात भरने के लिए आने का बुलावा दे नम आंखों से ससुराल लौट आई। जब इस बात का ग्रामीणों को पता चला तो उन्‍होंने एक अनोखा फैसला लिया। ग्रामीणों ने मीरा की बेटियों की शादी में भात भरने का फैसला किया।

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इस सहयोग में पूरा गांव आगे आया और करीब सात लाख रुपये कैश, गहने, कपड़े और सामान को मिलाकर 10 लाख रुपये का भात भरा गया। गांव से भारी संख्‍या में लोग मीरा के घर पहुंचे और भात की रस्‍म पूरी की। गहने और रूपऐ से भरी परांत मीरा के हाथों में सौंपी गई तो तालियां बज उठी। मीरा की भी आंखें नम भी इस मंजर को देख झलग उठीं।

आज पति, भाई और पिता तो नहीं थे। लेकिन पूरे गांव को घर पर आया देख मीरा की खुशी का ठिकाना नहीं था। मीरा की बेटियां भी खुशी के मारे फूलीं नहीं समा रहीं थी। मीरा के ससुराल में भी पीहर यानि मायके की इस पहल की जमकर सराहना हो रही है। आज मीरा के ससुराल में निभाई गई इस रस्‍म की चर्चा पूरे देश में हो रही है।

 

दरअसल मीरा के पति का देहांत हो चुका है। सिर्फ 2 बेटियां ही हैं। बेटी का पिता जोराराम बेनीवाल बहुत पहले ही गुजर चुके थे। अविवाहित भाई संतलाल भी गांंव की पंजाबी बाबा की कुटिया में रहने लगा। कुटिया में सेवारत रहते वो भी बीमार हो गया और चल बसा।

अब मीरा का कोई नहीं बचा था। गांव की बेटी मीरा भात का न्यौता देने गांव पहुंची तो उस बेटी ने अपने स्वर्गीय भाई की कुटिया को टीका किया और कुटिया को भात का न्योता देकर अपने ससुराल चली वापस चली आई। इस भावुकता भरे मंजर को ग्रामीणों ने देखा और सभी ने एकत्र होकर निर्णय लिया कि सभी मिलकर भात भरने जाऐगे और फिर क्या था ग्रामीणों ने ऐसी नजीर पेश की है कि हर जुबा पर मीरा की कहानी है। इस भात ने भक्त नरसी के भात को इस दौर में चरिता​र्थ कर दिखाया है।

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ये कहानी भारतीय परम्पराओं को पोषित करती हुई नजर आती है। कुछ कहानियां समाज में ऐसी मिसाल पेश करती है कि दूसरों को भी एक राह मिले और सहयोग की भावना कुछ यू परवान चढ़े कि देश और दुनिया में भारत की कीर्ति नए सोपान गढती हुई नजर आए। इस कहानी पर आप की प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा। ये कहानी औरों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है तो दोस्तों में भी इसे शेयर करना न भूलें। हो सकता है कि किसी गांव में या किसी शहर में बेसहारा को हम सभी का सहारा मिल जाए।

 

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