इस मंदिर में होती है खंडित मूर्ति की पूजा, जाने वजह

0

हिंदू धर्म के बारे में कई ऐसी बाते हैं, जो रहस्य हैं. वैसे भी हमारे भारत देश को अध्यात्म, संस्कृति, धर्म, भक्ति का देश कहा जाता है. यहां स्थित मंदिर का प्राचीन समय से पूजा-स्थल रूप में विशेष महत्व है. हमारे देश के हर शहर में हजारों मंदिर हैं, लेकिन यहां कई ऐसे मंदिर भी हैं, जो अपने आप में रहस्य हैं. आज भी उसका रहस्य लोगों के लिए अनसुलझी पहेली सी है. आज न्यूज़18 हिंदी को भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया ऐसे ही एक मंदिर के बारे में, जहां भगवान श्रीकृष्ण की खंडित प्रतिमा की पूजा की जाती है.

इस मंदिर में ऐसा कहा जाता है कि खुदकुशी करने वाले पंडित की जान बचाने खुद मां काली प्रकट हुई थीं. इस मंदिर को दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से जाना जाता है. खंडित प्रतिमा की पूजा करने के पीछे एक कथा है.

क्या है मंदिर को लेकर कथा
एक बार की बात है, मंदिर बनकर तैयार था. जन्माष्टमी के अगले दिन राधा-गोविंद मंदिर में नंदोत्सव की धूम थी. उस दौरान दोपहर के समय आरती और भोग के बाद भगवान श्रीकृष्ण को उनके शयन कक्ष में ले जाते समय प्रतिमा धरती पर गिर गई. जिस कारण से प्रतिमा का पांव टूट गया. सभी के लिए ये अमंगल था. हर कोई इस घटना को अशुभ बताने लगा.

ब्राह्मणों की सभा में हुआ फैसला
ब्राह्मणों की सभा बुलाई गई और उनसे विचार-विमर्श किया कि इस खंडित प्रतिमा का क्या किया जाए. प्रतिमा को जल में प्रवाहित कर इसके स्थान पर नई प्रतिमा को लाने का फैसला हुआ. रासमणी को ब्राह्मणों का यह सुझाव पसंद नहीं आया.

रामकृष्ण की सलाह पर स्थापित की खंडित प्रतिमा
वह रामकृष्ण परमहंस के पास गईं. रामकृष्ण ने कहा कि जब घर में कोई सदस्य विकलांग हो जाता है या फिर माता-पिता में से किसी एक को चोट लग जाती है, तो क्या उन्हें त्याग कर नया सदस्य लाया जाता है? नहीं, बल्कि हम उनकी सेवा करते हैं. तभी रासमणी को परमहंस का यह सुझाव बहुत पसंद आया और फिर उन्होंने निश्चय किया कि मंदिर में श्रीकृष्ण की इसी प्रतिमा की पूजा होगी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here