Rahul Gandhi News: कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर आजकल एक नया जुनून सवार हो गया है और यह जुनून है ओबीसी वोट और जाति जनगणना का. चूंकि बिहार में जातीय जनगणना के नतीजे जारी हो गए हैं, इसलिए राहुल गांधी को यकीन है कि उनका यह जुनून 2024 में सफल होगा. बिहार के जातीय सर्वेक्षण के अनुसार, ओबीसी+एससी+एसटी ब्लॉक की आबादी कुल 84% है. राहुल गांधी को लगता है कि अगर अन्य राज्यों में भी इसी तरह की कवायद की जाए और जातीय सर्वे के बाद इसी तरह के आंकड़े सामने आते हैं, तो यह उनके लिए फायदे का सौदा हो सकता है. यही वजह है कि राहुल गांधी अब लागतार ओबीसी और जाति जनगणना पर जोर दे रहे हैं.
अगर राहुल गांधी के जुनून की बात करें तो उनके राफेल जैसे पहले के भाषण, जहां उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ या ‘प्रधानमंत्री भ्रष्ट हैं’ की कहानी गढ़ी थी, काम नहीं आई. इसकी वजह है कि खुद कांग्रेस के कई नेता निजी तौर पर राहुल गांधी के उस अटैकिंग अभियान से असहमत थे. लेकिन इस बार कांग्रेस के लोगों को यकीन है कि राहुल गांधी का मौजूदा जुनून यानी अभियान वास्तव में काम कर सकता है.
कहा जाता है कि भाजपा यानी भारतीय जनता पार्टी ने ऊंची जाति के वोटों और निचले ओबीसी वोटों की बदौलत जीत हासिल की है. वास्तव में अन्य पिछड़ा वर्ग कभी भी एक जुट होकर वोट नहीं करता रहा है. भाजपा को इस बात का एहसास है और यही कारण है कि वह ओबीसी वोटों को लुभाने और यहां तक कि जीतने में भी सफल रही है.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने ऊंची जाति के वोटों को लुभाने की कोशिश नहीं की. साल 2016 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश करना (और बाद में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के कारण उन्हें छोड़ दिया गया), इसी दिशा में उसका कदम था. कांग्रेस इस कदम से ब्राह्मण वोट को लुभाने की उम्मीद में थी, मगर यह रणनीति कांग्रेस के लिए काम नहीं आई.
इसलिए अब कांग्रेस अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटों पर निर्भर होती दिख रही है. यह भी फैक्ट है कि कांग्रेस के पास अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और सिद्धारमैया के रूप में तीन ओबीसी मुख्यमंत्री हैं और मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में एक दलित अध्यक्ष है. यही वजह है कि राहुल गांधी को उम्मीद है कि 2024 में उनकी पार्टी के लिए यह काम कर सकता है, जो अब तक भाजपा के लिए सफल रहा है.
इसलिए सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी देशव्यापी जाति जनगणना की मांग को अपना मुख्य घोषणापत्र नारा बनाने की योजना बना रही है. कांग्रेस की योजना भाजपा को विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग यानी प्रिविलेज क्लास की पार्टी के रूप में पेश करने की है. इतना ही नहीं, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ भी जाति जनगणना को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने की योजना बना रहा है. यह जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल और निश्चित रूप से द्रविड़ मुनेत्र कड़गम जैसे कुछ सदस्यों के लिए उपयुक्त है. साथ ही डीएमके के लिए सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन के बयान पार्टी के ब्राह्मणवाद विरोधी रुख और राजनीति के अनुरूप हैं.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि बीजेपी आसानी से कांग्रेस को ऐसा करने देगी. यह दिखाने के लिए आंकड़े पहले ही जारी किए जा चुके हैं कि कैसे कांग्रेस शासित राज्यों और यूपीए के कार्यकाल के दौरान ओबीसी के लिए समय आसान नहीं था और उस वक्त कैसी ओबीसी की स्थिति थी. जाति जनगणना के साथ कांग्रेस को यह दिखाने की उम्मीद है कि ओबीसी, एससी और एसटी कैसे अधिक मायने रखते हैं और भाजपा ने उनके लिए बहुत कुछ नहीं किया है. अब सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी का यह नया जुनून काम करेगा?