दिया भले ही मिट्टी का हो मगर वह हमारे जीवन का आदर्श है -कुलदीप पलरवाल

दिया भले ही मिट्टी का हो मगर वह हमारे जीवन का आदर्श है -कुलदीप पलरवाल

दीपावली एक आध्यात्मिक पर्व है ।यह केवल बाहरी अंधकार को ही नहीं बल्कि भीतरी अंधकार को मिटाने का पर्व भी है  इस प्रकार अगर भीतर चेतना के आंगन में कर्म के कचरे को गुहार कर साफ किया जाए उसे समझाने का प्रयास किया जाए और उसमें आत्मा रूपी दीपक के अखंड ज्योति प्रज्वलित कर दिया जाए तो मनुष्य शाश्वत सुख-शांति एवं आनंद को प्राप्त हो सकता है |आदमी मिट्टी के दिए हैं | इसमें समय की बाती और परोपकार का तेल डालकर उसे जलाते हुए भारतीय संस्कृति को गौरव और सम्मान देता है क्योंकि दिया भले ही मिट्टी का हो मगर वह हमारे जीवन का आदर्श है |हमारे जीवन की दिशा है संस्कारों के सीख है संकल्प की प्रेरणा है और लक्ष्य तक पहुंचने का माध्यम है दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है जब भीतर का अंधकार दूर हो |

65815c7f 8ee7 4e9c 960c d23f1b428d2d

TheNationTimes

Learn More →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *