शेयर बाजार नियामक SEBI ने पुष्टि की है कि भारतीय जीवन बीमा निगम का एक कर्मचारी फ्रंट-रनिंग में शामिल था, जिसने व्यक्तिगत लाभ के लिए एलआईसी की अंदरुनी जानकारी का उपयोग किया. ऐसा करके इस कर्मचारी ने सेबी के नियमों का उल्लंघन किया.
इस मामले में एलआईसी ने बायोमेट्रिक एक्सेस, सीसीटीवी निगरानी और अन्य सुरक्षा उपायों के साथ जवाब दिया. इन उपायों का मकसद फ्रंट-रनिंग घटनाओं को रोकना और बाजार में निष्पक्ष कार्यशैली को सुनिश्चित करना है.
क्या है ‘फ्रंट रनिंग’?
शेयर बाजार में ‘फ्रंट रनिंग’ उस गैर कानूनी गतिविधि को कहा जाता है जब कोई ब्रोकर या इन्वेस्टर किसी ट्रेड में शामिल होता है क्योंकि उन्हें पहले से यह पता होता है कि उस कंपनी में एक बड़ी डील होने वाली है और उसकी वजह से उसके शेयरों के भाव बढ़ सकते हैं. सेबी की जांच में योगेश गर्ग, जो एलआईसी के निवेश विभाग में कार्यरत थे, उनकी माँ सरिता गर्ग; उनकी सास कमलेश अग्रवाल; वेद प्रकाश एचयूएफ और सरिता गर्ग एचयूएफ शामिल रहे.
सेबी ने अंतरिम आदेश 27 अप्रैल, 2023 को नोटिसकर्ताओं को दिया था. जांच के बाद नियामक ने 2.44 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध लाभ जब्त कर लिया है, साथ ही इन लोगों पर अगले आदेश तक शेयर बाजार में काम करने से रोक लगा दी है.
इस मामले पर एलआईसी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि फ्रंट रनिंग का यह पुराना मामला है. एलआईसी ने कहा, “हमने किसी भी प्रकार की फ्रंट रनिंग को रोकने के लिए सर्वोत्तम मापदंडों के साथ-साथ मजबूत नियंत्रण तंत्र स्थापित किया है.”