अधिकांश माता-पिता को अपने बच्चों के लिए अच्छे स्कूल की तलाश रहती है. इन्हीं अच्छे स्कूलों में से केंद्रीय विद्यालय और आर्मी स्कूल हैं. केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalaya) और आर्मी स्कूल (Army School) अपने बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहने वाले माता-पिता के लिए दो लोकप्रिय विकल्प हैं. हालांकि, पाठ्यक्रम, बुनियादी ढाँचे, प्रवेश मानदंड और अनुशासन के संदर्भ में इन दो प्रकार के स्कूलों के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं. अगर आप भी इन दोनों में से किसी एक में अपने बच्चों का एडमिशन कराना चाहते हैं, तो इन दोनों के बीच प्रमुख अंतरों को जान लें.
केंद्रीय विद्यालय और आर्मी स्कूल के सिलेबस
केंद्रीय विद्यालय केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) सिलेबस को फॉलो करते हैं, जो भारत में सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत और मान्यता प्राप्त सिलेबस है. वहीं दूसरी ओर अधिकांश आर्मी स्कूल सीबीएसई या भारतीय माध्यमिक शिक्षा प्रमाणपत्र (ICSE) सिलेबस का विकल्प भी प्रदान करते हैं.
केंद्रीय विद्यालय और आर्मी स्कूलों की बेसिक स्ट्रक्चर
केंद्रीय विद्यालय अपने आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए जाने जाते हैं. इनमें अच्छी तरह से सुसज्जित कक्षाएं, प्रयोगशालाएं और खेल सुविधाएं शामिल हैं. कंप्यूटर लैब और हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ सूचना प्रौद्योगिकी पर भी उनका जोर है. वहीं दूसरी ओर आर्मी स्कूल की बात करें, तो बुनियादी ढांचे के प्रति अधिक पारंपरिक दृष्टिकोण है, जिसमें अनुशासन और सैन्य प्रशिक्षण पर जोर दिया जाता है. उनके पास अक्सर फिजिकल ट्रेनिंग और स्पोर्ट्स के लिए बड़े खुले स्थान होते हैं.
केंद्रीय विद्यालय और आर्मी स्कूल में कैसे मिलेगा एडमिशन
केंद्रीय विद्यालयों में एक सीधी प्रवेश प्रक्रिया होती है, जो लॉटरी सिस्टम पर आधारित होती है. हालांकि, सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है. विशेषकर उनके बच्चों को जिनका अक्सर स्थानांतरण होता रहता है. आर्मी स्कूलों में एडमिशन प्रोसेस काफी अधिक कठिन है और सेवारत और सेवानिवृत्त सेना कर्मियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है. हालांकि, वे नागरिक बच्चों को सीमित संख्या में सीटें भी प्रदान करते हैं.