KFC success story: हर जगह मिली विफलता फिर भी नहीं मानी हार, अब देते है लाखों लोगो को रोजगार

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KFC success story: कर्नल सैंडर्स ने अपनी जिंदगी के हर मौड़ पर हार देखी थी लेकिन अपने द्रढ़ संकल्प के कारण आज वे उस मुकाम पर है जो कुछ लोगो का बस सपना ही होता है.

उन्होंने हर कदम हार के डर से रुक जाने वालों के लिए एक मिसाल कायम की है. 1009 बार मिली असफलता के बाद भी आगे बढ़ते रहे और पूरी दुनिया में अपना नाम बनाया.

उन्होंने अपने रिटायरमेंट की उम्र में अपना करियर शुरू किया, इस से एक बात तो स्पस्ट होती है की सपने देखने और उन्हें पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती.

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आज हम आपको बताएगे कर्नल सैंडर्स की कहानी जिन्हे एक के बाद एक मिली असफलता ने और मजबूत किया और 65 साल की उम्र में उनकी किस्मत चमक उठी. उन्होंने विफलता के मुह ताक कर भी सफलता का माथा चूमा.

7 साल की उम्र में करने लगे कुंकिंग (KFC success story)

कर्नल हारलैंड सैंडर्स ने 9 सितंबर साल 1890 को अमेरिका के इंडियाना रीज़न हेनरीविले टाउन में जन्म लिया था. कर्नल मात्र 5 वर्ष के ही थे जिस वक्त उनके पूजनीय पिताजी का देहांत हो गया.

उनकी माता एक फैक्ट्री में काम किया करती थी. तीन भाई बहन में कर्नल सबसे बड़े थे. बड़े भाई के नाते उन्होने ही सबकी देखभाल की. 7 साल की उम्र में उन्होने खाना बनाना सीख लिया था.

वे मात्र 12 साल के ही थे जब उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली, सौतेले पिता को वो पसंद नहीं थे, जिसके चलते वो अपनी आंटी के पास रहने लगे.

छोटे – छोटे काम करके चलाई ज़िंदगी (KFC success story)

सैंडर्स ने अपनी जिंदगी में कई के तरह काम करके विफलता देखी है. वे सेना में भी भर्ती हुए लेकिन वहां कम उम्र होने के चलते एक साल के बाद ही वहां से निकाल दिया गया.

कुछ समय रेलवे में मजदूरी का काम किया लेकिन वहां भी झगड़ा होने के चलते काम छोड़ना पड़ा. इसके बाद मां के साथ रहे और शादी भी की. बाद में इंश्योरेंस का काम शुरू किया और क्रेडिट कार्ड बेचा. लैंप बनाने और नाव चलाने जैसे कामों में भी अपनी किस्मत आजमाई.

कुकिंग से शुरू हुआ नया सफर (KFC success story)

वे एक स्टाल पर फ्राइड चिकन का काम करते थे. एक दिन केंटकी के गवर्नर, फ्राइड चिकन खाने के लिए आए. उन्हे उसका स्वाद इतना अच्छा लगा कि हारलैंड सैंडर्स को कर्नल की उपाधि दे दी.

यह बहुत ही सम्मान जनक उपाधि मानी जाती है. कर्नल ने सोचा अपनी रेसपी को रेस्टोरेंट में बेचा जा सकता है. अपनी फ्राइड चिकन की रेसपी को बेचने के लिए वो दुनिया भर के रेस्टोरेंट में गए, वहां उन्हे 1009 बार ना का सामना करना पड़ा.

65 की उम्र मे मिली सफलता (KFC success story)

उन्होंने अपनी चिकन की रेसपी बेचनी शुरू कर दी और इस से उन्हे काफी फायदा हुआ. वह मसाले के पैकेट भेजते थे जिससे उनकी रेसपी सीक्रेट रहे.

साल 1963 अक्टूबर में उनकी मुलाकात वकील जॉन वाई ब्राउस जूनियर और व्यापारी जैक सी मैसी से हुई और केएफसी के फ्रेंचाइजी राइट्स खरीदने के लिए कहां. शुरुआत में मना किया, लेकिन बाद में उन्होंने 2 मिलियन डॉलर में जनवरी 1965 में बेच दिया.

कर्नल को ज़िंदगी भर में 40 हजार डॉलर देने की डील हुई जो बाद में बढ़ के 75 हजार डॉलर कर दी गई. इस कंपनी का मालिकाना हक ‘यम ब्रांड्स इनकॉर्पोरेशन’ के पास है. कर्नल सैंडर्स की मौत 1980 में 90 साल की उम्र में हुई. आज के समय में केएफ़सी 145 देशो में 25 हजार से अधिक स्टोर हैं.

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