गुजवि के शिक्षक सरदूल सिंह की शोध तकनीक को मिला पेटेंट
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा अन्य शिक्षकों को मिलेगी प्रेरणा
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के इंजीनियर सरदूल सिंह धायल तथा उनकी टीम ने भवनों में आद्रता नियंत्रित करने की नई तकनीक खोजी है। इस तकनीक के लिए सरदूल सिंह तथा उनकी टीम को भारतीय पेटेंट कार्यालय से डिजाइन रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र मिला है। सरदूल सिंह पेटेंट प्रमाण पत्र के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई से मिले। प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने सरदूल सिंह द्वारा खोजी गई आद्रता नियंत्रण प्रणाली को मिले पेटेंट ने विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है। इस पेटेंट से अन्य शिक्षकों तथा शोधार्थियों को नए शोधों के लिए प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं को अपने द्वारा खोजी गई नई तकनीकों को पेटेंट अवश्य करवाना चाहिए। उन्होंने शोधार्थियों को नए शोधों के लिए हरसंभव सुविधा उपलब्ध करवाई जाएंगी। <a href=””> เว็บแตกง่าย </a>
सरदूल सिंह ने बताया कि आधुनिक नवाचार के क्षेत्र में यह प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है। अस्पतालों तथा अन्य संस्थानों के भवनों के साथ-साथ घरों के लिए भी यह लाभदायक है। इंडोर आद्रता का नियंत्रण वर्तमान वातावरणीय परिस्थितियों में अति आवश्यक है। यह प्रणाली आद्रता नियंत्रण के क्षेत्र में नए शोधों को बढावा देने में भी कारगर होगी। बदलते वैश्विक परिदृश्य में इस प्रणाली का महत्व लगातार बढ़ता रहेगा। सरदूल सिंह की टीम में गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के पूर्व विद्यार्थी एवं डीआरयूएसटी मुरथल के भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रो. सुरेंद्र सिंह दुहन एवं शोध छात्र शामिल हैं।
डिजिटल सेंसर लगे हैं
सरदूल सिंह ने बताया कि अब तक उपलब्ध आद्रता मापने की प्रणाली थर्मामीटर की तरह काम कर रही थी। इस प्रणाली का रिस्पांस टाइम बहुत अधिक है। उनकी प्रणाली में उच्च स्तरीय डिजिटल सेंसर लगे हैं। आद्रता में जैसे ही बदलाव होगा, ये सेंसर तुरंत सिग्नल देंगे। निर्धारित तापमान पर सेट किए जाने के बाद इससे आद्रता आटोमैटिक नियंत्रित होगी। यह प्रणाली अत्यंत सटीक गणना पर आधारित है। इस प्रणाली में कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित भी है।
इको फ्रैंडली बनाने की योजना
सरदूल सिंह ने बताया कि अधिकतर इलैक्ट्रोनिक्स उत्पादों को नष्ट करते समय पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान होता है। वे इस प्रणाली को इको फ्रैंडली बनाने पर काम कर रहे हैं। उनकी योजना है कि इस प्रणाली में ऐसे आइटम प्रयोग में लााए जाएं जो पर्यावरण को नुकसान न करें। गुरू जंभेश्वर विश्वविद्यालय को पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है।