क्या वजन कम होने से बढती है सुगर, जाने इसके प्रभाव

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में हिरासत में हैं. केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. दिल्ली के मंत्री आतिशी का दावा है कि जब से केजरीवाल गिरफ्तार हुए हैं तब से पिछले 12 दिनों में उनका वजन 4.5 किलोग्राम कम हुआ है. चूंकि केजरीवाल डायबिटीज के गंभीर शिकार हैं. उनका ब्लड शुगर तेजी से फ्लकचुएट करता रहता है. इसलिए उनकी हेल्थ गंभीर चिंता का विषय है. आतिशी का यह भी कहना है कि केजरीवाल का शुगर लेवल हिरासत में लिए जाने के बाद से तीन बार गिर चुका है जो और अधिक चिंता की बात है. पर क्या सच में केजरीवाल का वजन गिरना गंभीर बात है या अगर कोई डायबेटिक है तो क्या इस स्थिति में वजन गिरने से शरीर पर क्या असर हो सकता है. इसी विषय पर हमने मैक्स हेल्थकेयर, गुड़गांव में सीनियर डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. पारस अग्रवाल से बात की.

शुगर और वजन का कनेक्शन
डॉ. पारस अग्रवाल ने बताया कि जैसा कि बताया जाता है कि अरविंद केजरीवाल डायबिटीज के गंभीर मरीज हैं और वे इंसुलिन भी लेते हैं. कहा जा रहा है कि उनका वजन कम हो रहा है. दरअसल, कोई भी मरीज अगर सीरियस डायबेटिक है तो उनका ब्लड शुगर तेजी से उपर-नीचे जाती ही है. जहां तक वजन की बात है तो अगर कोई मरीज डायबेटिक हैं और वह अगर बहुत ज्यादा स्ट्रेस में रहता है या नींद कम आती है तो उस स्थिति में लोग कम खाने लगते हैं. यह सामान्य लोगों के साथ भी हो सकता है. लोग चिंता, निराशा में कम भोजन करते हैं. इस स्थिति में वजन कम होना लाजिमी है. लेकिन केजरीवाल के केस में ब्लड शुगर भी एक फेक्टर हो सकता है. हालांकि यह उनका इलाज कर रहे डॉक्टर ही बता पाएंगे कि केजरीवाल का वजन गिरा है या नहीं और अगर गिरा है तो किन वजहों से गिरा है. पर शुगर के मरीजों में ऐसा संभव है.

शुगर के मरीजों में कब घटता है वजन
पबमेड सेंट्रल जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई मरीज डायबेटिक है और उनका ब्लड शुगर गंभीर रूप से सामान्य से बहुत कम रहता है तो यह बीएमआई (शरीर के विभिन्न मानकों पर तय वजन) को बुरी तरह प्रभावित करता है. किसी भी इंसान का सामान्य ब्लड शुगर लेवल भूखे पेट 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर होता है. अगर इससे कम हो तो इसे हाइपोग्लिसेमिया कहते हैं और अगर बढ़ जाए तो इसे हाइपरग्लिसेमिया कहते हैं. अगर ब्लड शुगर लेवल 54 एमजी प्रति डीएल से भी नीचे आ जाता है तो यह गंभीर हाइपोग्लेसेमिया है. इस स्थिति में शुगर या ग्लूकोज लेवल बहुत कम हो जाता है यानी बॉडी के सेल्स में ग्लूकोज जा ही नहीं पाता है. जब शरीर में एनर्जी नहीं बनेगी तो यह शरीर में पहले से जमा एनर्जी का इस्तेमाल करेगा. यानी शरीर में जमा चर्बी (फैट) और मसल्स से शरीर एनर्जी का इस्तेमाल करेगा. इस स्थिति में जाहिर है कि वजन कम होगा. शुगर के मरीजों के लिए ज्यादा वजन भी खतरनाक है और ज्यादा वजन में कमी होना भी नुकसानदेह है. इससे अचानक चक्कर और बेहोशी हो सकती है.

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