Chandrayaan-3 questions: कंपटीटिव एग्जाम्स में Chandrayaan-3 से जुड़े यह सवाल पूछे जाएंगे, जानिए

0

Chandrayaan-3 questions: ISRO के द्वारा चलाया गया शानदार मिशन ‘चंद्रयान-3’ आजकल काफी सुर्खियों में चल रहा है. तो यह तो जाहिर सी बात है की आने वाले सभी भर्ती परीक्षाओं या दूसरे कंपटीटिव एग्जाम्स में इससे जुड़े सवाल पूछे जाएंगे.

तो हम आपके लिए आज इसी से जुड़े कुछ लॉजिकल और जबरदस्त सवाल लेकर आए हैं. जानिए कुछ जबरदस्त सवाल और इनके जवाब…

चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए 3 सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
पहली चुनौती है लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना.
लैंडर चंद्रयान-3 के लिए दूसरी चुनौती यह है कि लैंडर उतरते समय सीधा रहे.
तीसरी चुनौती है कि उसे उसी जगह पर उतारना, जो इसरो ने चुन रखी है.

यह भी पढ़े: 10वीं पास उम्मीदवारों के लिए मेट्रो में आई शानदार भर्ती, इस तरह करें आवेदन

चंद्रयान 3 से क्या फायदा होगा?
‘चंद्रयान-3’ की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत, दुनिया में रूस, अमेरिका और चीन बराबरी पर आ जाएगा. अभी तक इन्हीं तीन देशों को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का गौरव हासिल है.

चंद्रयान 3 मिशन पर कुल कितना खर्चा हुआ है ?
चंद्रयान 3 मिशन पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्चा हुआ है.

इसरो का चंद्रयान-1 मिशन कब लॉन्च हुआ था ?
इसरो का चंद्रयान-1 मिशन 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च हुआ था.

चंद्रयान-1 मिशन का क्या हुआ था?
जब चंद्रयान-1 का ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा था, तो मून इम्पैक्ट प्रोब चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. 18 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 पर 100 किमी की ऊंचाई से मून इम्पैक्ट प्रोब लॉन्च किया गया था, 25 मिनट में इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर गिराया गया.

अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले यान का पहला हिस्सा क्या कहलाता हैं?
अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले यान का पहला हिस्सा प्रोपल्शन मॉड्यूल कहलाता हैं.

चंद्रयान 3 का वजन कितना है?
चंद्रयान 3 का वजन 3900 किलो है.

चंद्रयान 3 के लिए प्रमुख किस रॉकेट इंजन का उपयोग किया है?
चंद्रयान 3 के लिए C25 क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन का उपयोग किया है.

चन्द्रमा का अध्ययन क्या कहलाता हैं?
चन्द्रमा का अध्ययन सेलेनोलोजी कहलाता हैं.

अंतरिक्ष जाने वाले सभी रॉकेट सफेद क्यों होते हैं?
रॉकेट मुख्य रूप से सफेद होते हैं ताकि स्पेसक्राफ्ट गर्म न हो. साथ ही इसके अंदर क्रायोजेनिक प्रोपलेंट्स यानी प्रणोदकों को लॉन्चपैड पर और लॉन्चिंग के दौरान सूर्य के रेडिएशन के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप गर्म होने से बचाया जा सके.

चांद के दक्षिण ध्रुव पर क्या खास है.
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव तुलनात्मक रूप से कम ठंडा है. इस इलाके में अंधेरा भी कम रहता है.

यह भी पढ़े: Post office vacancy: भारतीय डाक विभाग की तरफ से आई भर्ती, इस तारीख से पूर्व करें आवेदन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here