भर्तृहरि महताब की Pro-tem Speaker के रूप में नियुक्ति
संसद में राजनीतिक उत्तेजना बढ़ी है। भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब ने प्रोटेम स्पीकर की शपथ लेकर एक नई बहस शुरू की है। महताब ने सोमवार को 18वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली, जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी थी। अब महताब इस महत्वपूर्ण पद पर रहेंगे, जहां वे लोकसभा सत्र की अध्यक्षता करेंगे और नवनिर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह की देखरेख करेंगे।
महताब की नियुक्ति से संसद सत्र के पहले दिन ही बहस की संभावना बढ़ी है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति जताई है, जिससे संसद का पहला दिन गर्म होगा।

Congress का विरोध: रूढ़िवाद
Congress ने कहा कि महताब को नियुक्त करके भाजपा ने संसदीय नियमों का उल्लंघन किया है। कांग्रेस का कहना है कि सबसे वरिष्ठ सांसद को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है, लेकिन इस बार महताब से वरिष्ठ कांग्रेस सांसद सुरेश को नहीं देखा गया है।
के सुरेश,, जो आठ बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं, महताब से कम उम्र का है। वहीं महताब सात बार ओडिशा से सांसद चुके हैं। कांग्रेस का कहना है कि सुरेश का कार्यकाल अधिक होने के बावजूद भाजपा ने महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करके एक परंपरा को तोड़ दिया है।
वरिष्ठता और परंपरा: मुद्दे की गहराई
भारतीय संसद की परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ सांसद को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। यह प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी निभाता है और सत्र की शुरुआत में अध्यक्षता करता है। यह परंपरा संसदीय व्यवस्था की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
BJP के निर्णय को लेकर उठे विवाद में यह महत्वपूर्ण है कि इस परंपरा का पालन किया जा रहा है या नहीं। कांग्रेस का आरोप है कि महताब की नियुक्ति इस परंपरा के विपरीत है और यह निर्णय राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है।
BJP की सफाई
BJP की तरफ से इस मुद्दे पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि महताब का अनुभव और उनकी योग्यता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। महताब का सात बार का लोकसभा कार्यकाल उन्हें एक सक्षम प्रोटेम स्पीकर बनाता है, जो नवनिर्वाचित सांसदों को सुचारू रूप से शपथ दिला सकते हैं।
राजनीतिकरण का आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भाजपा पर नियुक्ति को राजनीतिकरण करने और संसदीय कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। रमेश का कहना है कि पहले दो दिनों में, जब सभी नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई जाती है, सबसे अधिक कार्यकाल पूरा करने वाले सांसद को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाना चाहिए।
रमेश का यह बयान इस बहस को और बढ़ा सकता है क्योंकि इससे संसदीय प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठता है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा ने यह निर्णय अपने राजनीतिक लाभ के लिए किया है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
भविष्य में आने वाली चुनौतियां
यह विवाद संसद के पहले दिन की कार्यवाही को प्रभावित कर सकता है, साथ ही सरकार और विपक्ष के बीच विवाद को भी जन्म दे सकता है। दोनों पक्षों को इस विवाद को हल करने के लिए संसदीय नियमों का सम्मान करना होगा और निष्पक्ष निर्णय लेना होगा।

भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब की Pro-tem Speaker नियुक्ति ने संसद सत्र के पहले दिन ही बहस पैदा कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि इस फैसले से परंपरा का उल्लंघन हुआ है और राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है। यह मुद्दा हल करने के लिए दोनों पक्षों को संसदीय परंपराओं और नियमों का सम्मान करना होगा। यह विवाद भविष्य में भी सरकार और विपक्ष के बीच संघर्ष पैदा कर सकता है, इसलिए इसे जल्दी से हल करके संसदीय कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना महत्वपूर्ण है।