बंगाल के नवाब होकर थे सबके प्रिय, ताकत में सबसे थे बाप, पहचाने कौन

0

पश्चिम बंगाल में आज भी अगर किसी मुस्लिम शासक को सबसे ताकतवर माना गया है तो वह मुर्शिद कुली खान था, जिनके नाम पर बंगाल के एक शहर का नाम मुर्शिदाबाद पड़ा. ये शहर अब बांग्लादेश में है. वह बंगाल का पहले नवाब था. सबसे रूतबे वाले ताकतवर नवाब. क्या आपको मालूम है कि मोहम्मद हादी के नाम से भी जाने जाने वाले इस नवाब का जन्म हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था.

एक हिंदू कैसे बंगाल का ताकतवर मुस्लिम शासक और नवाब बन गया, ये कहानी खासी दिलचस्प है. मुर्शिद कुली खान का जन्म 1660 में हिंदू ब्राह्णण परिवार में हुआ. पैदाइशी नाम सूर्य नारायण मिश्रा था. इतिहासकार सर जदुनाथ सरकार के अनुसार , मुर्शीद कुली खान मूल रूप से एक हिंदू था. उसका बचपन का नाम सूर्य नारायण मिश्रा था, उसका जन्म डेक्कन में हुआ.

इतिहासकार जदुनाथ सरकार की किताब के अनुसार, मुर्शीद अपने जन्म के दस सालों तक हिंदू रीतिरिवाजों के साथ बड़ा हुआ. फिर घर के हालात ऐसे हुए कि माता-पिता को उसे एक मुगल सरदार हाजी शफी को बेचना पड़ा, जिसके कोई औलाद नहीं थी.

मासीर अल-उमारा पुस्तक भी इस तथ्य का समर्थन करती है कि करीब 10 साल की उम्र में उसे हाजी शफ़ी नाम के एक फ़ारसी को बेच दिया गया, जिसने उसका खतना किया. अब उसका नाम मोहम्मद हादी हो गया.

murshid1 2024 02 e905d270c1789cea9dcc0c7e69c94117

मुर्शिद कुली खान, बंगाल का सबसे ताकतवर शासक बना. (फाइल फोटो)

बुद्धि से तेज 
बुद्धि से तेज मुर्शिद ने विदर्भ के दीवान के अधीन काम किया. उसी दौरान तत्कालीन सम्राट औरंगजेब उसेस नसे प्रभावित हो गया. उन्हें दीवान बनाकर बंगाल भेजा गया. मुर्शिद को औरंगजेब से लेकर मुगल सम्राट बहादुर शाह प्रथम तक कई जिम्मेदारियां दी गईं. वह आगे बढ़ते गया. राजस्व मामलों में उसकी खास विशेषज्ञता थी. उसने कई वित्तीय रणनीतियां लागू करने में खास भूमिका अदा की.

औरंगजेब पसंद करता था
बाद में औरंगजेब के पोते अजीम-उस-शान से उसकी ठन गई. तब अजीम शान सूबे का सूबेदार था. अजीम-उस-शान ने कुली खान की हत्या की योजना बनाई. लेकिन वह इससे बच गया. उल्टे धन संग्रह की जिम्मेदारी पास होने के कारण वह और ताकतवर होने लगा. बंगाल के आर्थिक मामलों पर भी उसकी पकड़ और ज्यादा हो गई. वजह ये भी थी औरंगजेब उसको पसंद करता था, उसको अपने तरीके से कर संचय और दूसरे आर्थिक मामलों की पूरी आजादी थी.

बंगाल से रिकॉर्ड राजस्व औरंगजेब को भेजता था
वह अपना दीवानी कार्यालय ढाका से मुक्शुदाबाद ले गया. यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों ने भी वहां अपने अड्डे स्थापित कर लिये थे. मुर्शिद व्यापारियों और बैंकर्स का भी चहेता था. चूंकि वह बंगाल से काफी ज्यादा राजस्व औरंगजेब को दे रहा था, लिहाजा वह उससे खुश था. औरंगजेब ने उसे मुर्शीद कुली की उपाधि दी और शहर का नाम बदलकर मुर्शिदाबाद कर दिया.

औरंगजेब की मृत्यु के बाद ताकत घटी फिर बढ़ने लगी
1707 जब औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुर्शिद की ताकत घटने लगी. हालांकि कुछ समय बाद वह फिर ताकतवर और असरदार होने लगा. कुली खान ने मुगल जागीरदारी प्रणाली को माल जसमानी प्रणाली से बदल दिया , जो फ्रांस के फर्मियर्स जनरलों के समान थी. उसने ठेकेदारों या इजारदारों से सुरक्षा बांड लिया जो बाद में भू-राजस्व एकत्र करते थे.

हिंदू उसके राज में बेहतर स्थिति में थे
इतिहासकारों के अनुसार, उसके शासनकाल में हिंदुओं की स्थिति भी “अच्छी” थी क्योंकि “वे और अधिक अमीर हो गए”. कुली खान ने हिंदुओं को कर विभाग में मुख्य रूप से नियुक्त किया, क्योंकि उसे लगता था कि वे इस क्षेत्र में विशेषज्ञ थे; वे धाराप्रवाह फ़ारसी भी बोल सकते थे.

ईस्ट इंडिया कंपनी से दोस्ती करके नवाब बन गया
वैसे तो मुगल शासक फरुख्शियर ने 1717 में उसे बंगाल का सूबेदार बनाया लेकिन वह वास्तव में कई सालों से बंगाल के वास्तविक शासक के तौर पर काम कर रहा था. उसके पास मजबूत सेना थी. बंगाल में उसका शासन चलता था. ईस्ट इंडिया कंपनी उसके साथ थी. जल्दी ही उसने खुद को मुगल शासन से अलग कर लिया. बंगाल पर अधिकार करके वह वहां का नवाब बन गया. कहा जाता है कि मुर्शिद ने बेखटके करीब 30 सालों तक बंगाल पर शासन किया. उसका निधन 1727 में हुआ.

हिंदुओं को मुस्लिम भी बनाया
हालांकि कहा जाता है कि मुस्लिम बनने के बाद उसने इस धर्म का कठोरता से पालन किया. ये सही है कि हिंदुओं को उसने अपने शासन में अहम पदों पर बिठाया लेकिन उसका ये भी नियम था कि जो भी किसान अथवा ज़मींदार लगान न दे, उसको परिवार सहित मुस्लिम होना पड़ता था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here