भारत पर्यावरण संरक्षण भारत की सनातन संस्कृति रही है।

0

भारत पर्यावरण संरक्षण भारत की सनातन संस्कृति रही है।

जून 05, 2023
राष्ट्रीय सेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा. इंद्रेश कुमार ने कहा कि प्रदूषण मुक्त विश्व का रास्ता भारत से होकर ही गुजरता है। भारत ने विश्व को शांति का संदेश दिया है। भारत को अलंकार से नहीं आचरण से पहचाना जाता है। भारत पर्यावरण संरक्षण भारत की सनातन संस्कृति रही है। यह देश ज्ञान और विज्ञान के साथ चरित्र में भी महानता के चलते विश्व गुरू रहा है।
डा. इंद्रेश कुमार विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष पर गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार द्वारा पयार्वरण एवं हिमालय सुरक्षा विषय पर आयोजित सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। पंडित लख्मी चंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स, रोहतक के कुलपति गजेंद्र चौहान विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सेमिनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। कार्यक्रम संयोजिका प्रो. आशा गुप्ता रही।
डा. इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत की परंपरा प्रदूषण नहीं बल्कि पर्यावरण है। विश्व के ठेकेदार देश ही विश्व में पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं। पुराने ग्लेशियर पिघल रहे हैं नए बनना मुश्किल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध पिपासु देशों ने दुनिया का तापमान बढ़ा दिया है। हम प्रकृति से दूर हो रहे हैं और हमारी जीवनशैली प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बन रही है। उन्होंने कहा कि जल, पृथ्वी, आकाश तथा वायु को बचाने के लिए हमें अपनी जीवन शैली में सुधार लाना होगा। एक समय भारत में प्रति व्यक्ति 1728 वृक्ष थे जो आज घटकर 71 रह गए हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन के हर अनुष्ठान पर पेड़ लगाने चाहिए। डा. इन्द्रेश कुमार ने सामाजिक पर्यावरण पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रेम प्यार पर्यावरण है जबकि वासना प्रदूषण है। रावण के चरित्र में प्रदूषण था इसलिए हमने चार वेदों के ज्ञाता रावण को राक्षस कहा। उन्होंने मां को पृथ्वी पर भगवान के बाद श्रेष्ठ बताया तथा पृथ्वी की तुलना मां से की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हम मां को सम्मान देते हैं उसी प्रकार धरती को सम्मान देना चाहिए।
सुपवा कुलपति गजेंद्र चौहान ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नदियों और पर्वतों को पूजा जाता है। प्रकृति को मां का दर्जा दिया गया है। भारतीय मूल जीवन शैली तथा सभ्यता को अपनाकर ही हम पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं। भविष्य की पीढय़िों के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।
Photo No 03 EVS 05.06.2023
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि यह विश्वविद्यालय विश्व के सबसे महान पर्यावरण संरक्षक गुरु जंभेश्वर जी महाराज के नाम पर स्थापित है। उन्होंने आज से 535 साल पहले ही पर्यावरण के समक्ष आने वाली चुनौतियों को समझ लिया था। गुरु जी के 29 सिद्धांतों में से छह सिद्धांत पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांत हैं। उन्होंने कहा कि माता अमृता देवी के नेतृत्व में गुरुजी के अनुयायियों द्वारा दिया गया खेजड़ी महाबलिदान पर्यावरण संरक्षण में विश्व में अतुलनीय बलिदान है। उन्होंने कहा कि स्थापना के समय 372 एकड़ के इस विश्वविद्यालय में झाडिय़ों के अतिरिक्त केवल 18 वृक्ष थे जो आज यह संख्या 35,000 है। यह विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। कुलपति ने विश्वविद्यालय की अब तक की विकास यात्रा प्रस्तुत की।
कार्यक्रम के शुरूआत में उड़ीसा के बालासोर में हुए रेल हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम के दौरान गुरू जम्भेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान में पौधारोपण भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान डा. इन्द्रेश कुमार द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई, लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार वर्मा, सुपवा के कुलपति गजेंद्र चौहान तथा राज्य सूचना आयुक्त जगबीर सिंह को दो पुस्तकें भी भेंट की गई। धन्यवाद प्रस्ताव प्रो. आशा गुप्ता द्वारा दिया गया।
Photo No 01 EVS 05.06.2023

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here