प्रदूषण से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय: फेफड़ों को करें सुरक्षित

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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच चुका है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। इस प्रदूषण के कारण न केवल बाहरी वातावरण में, बल्कि घर के अंदर भी लोग सांस लेने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। ऐसे में, विशेषज्ञों का कहना है कि हम सभी को प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाने चाहिए, खासकर आयुर्वेद के प्राकृतिक उपाय।

प्रदूषण से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपाय: फेफड़ों को करें सुरक्षित
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प्रदूषण का प्रभाव

वायु प्रदूषण से अस्थमा, फेफड़ों की बीमारियों और अन्य सांस संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। आम लोगों को भी गले में जलन, खांसी और सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे समय में जब हम खुद को प्रदूषण से पूरी तरह नहीं बचा सकते, तब आयुर्वेदिक उपाय अपनाकर हम अपनी सेहत को बेहतर कर सकते हैं।

आयुर्वेद के चार आसान उपाय

1. हर्बल टी बनाएं

हर्बल टी प्रदूषण से लड़ने का एक प्रभावी तरीका है। आप घर पर तुलसी, दालचीनी, अदरक, सौंठ, कालीमिर्च, पीपल और बड़ी इलायची को कूटकर हर्बल टी बना सकते हैं। इसमें थोड़ा गुड़ डालें और इसे सुबह और शाम दोनों समय पिएं। यह न केवल शरीर को detoxify करेगा, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करेगा।

बनाने की विधि:

  • 1 कप पानी में तुलसी के 5-6 पत्ते, दालचीनी की एक छड़ी, अदरक का छोटा टुकड़ा, 2-3 कालीमिर्च और इलायची डालें।
  • इसे 10 मिनट तक उबालें, फिर छानकर गुड़ मिलाकर पिएं।

2. मुनक्का और कालीमिर्च

गले में जलन या खांसी को दूर करने के लिए मुनक्का और कालीमिर्च का उपयोग करें। रोजाना कुछ मुनक्का भूनकर, उनके बीज निकालकर उसमें दो-दो कालीमिर्च डालें और सेंधा नमक में लपेटकर चूसें। इससे गला साफ होगा और फेफड़ों में जमा गंदगी भी बाहर निकलेगी।

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3. मुलेठी का सेवन

मुलेठी, जिसे “ग्लाइसीरिजा ग्लाबरा” भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक कफ कलेक्टर है। इसे चूसने से सांस नली में जमा धुआं और गंदगी साफ हो जाती है। इसे अपने पास रखें और दिन में कम से कम एक बार चूसें। यह उपाय बहुत सरल और प्रभावी है।

4. हल्दी-गुड़ का दूध

प्रदूषण के कारण होने वाली खांसी और अस्थमा के असर को कम करने के लिए हल्दी का दूध बहुत फायदेमंद है। रात में हल्दी का दूध उबालकर उसमें थोड़ा गुड़ डालकर सोने से पहले पिएं। यह इम्यूनिटी को मजबूत करता है और शरीर को प्रदूषण से लड़ने में मदद करता है।

प्रदूषण के मौसम में सावधानी

इस मौसम में विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है, खासकर निम्नलिखित समूहों के लिए:

  • बच्चे: उनके फेफड़े विकसित हो रहे होते हैं, इसलिए उन्हें प्रदूषण से दूर रखना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान प्रदूषण से बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • बुजुर्ग: उम्र के साथ फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है, इसलिए उन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • अस्थमा के मरीज: उन्हें अपनी दवाइयां समय पर लेनी चाहिए और बाहर जाने से बचना चाहिए।
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अन्य सुझाव

आयुर्वेदाचार्य अच्युत त्रिपाठी के अनुसार, कुछ अतिरिक्त उपाय भी अपनाए जा सकते हैं:

  • सरसों का तेल और सेंधा नमक: इसे गुनगुना करके छाती पर लगाएं। यह श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • व्यायाम: नियमित व्यायाम करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और इम्यूनिटी में सुधार होता है।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है, लेकिन आयुर्वेदिक उपायों के माध्यम से हम अपने फेफड़ों और स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं। हर्बल टी, मुनक्का-कालीमिर्च, मुलेठी और हल्दी-गुड़ का दूध जैसे प्राकृतिक उपायों से हम अपने शरीर को सुरक्षित रख सकते हैं। प्रदूषण कम से कम डेढ़ से दो महीने तक परेशानी देने वाला है, इसलिए इन उपायों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना न भूलें।

आखिर में, अपने और अपने परिवार की सेहत का ध्यान रखें, और आयुर्वेद के माध्यम से प्रदूषण से बचाव के उपायों का पालन करें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!

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