CM योगी ने घोषणा की कि हाथरस दुर्घटना में मरने वाले लोगों को 2-2 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।

मंगलवार, 2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के मुगलगढ़ी गांव में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भयानक भगदड़ मच गई। सत्संग में भोले बाबा का प्रवचन सुनने के लिए हजारों भक्त एकत्र हुए थे। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है और कई परिवारों में शोक की लहर दौड़ गई है।
हादसे का विवरण
हाथरस हादसे में 122 लोगों की मौत हो चुकी है और 150 से अधिक लोग घायल हैं। इनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय अस्पतालों में घायलों का इलाज जारी है और मृतकों की संख्या में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।
इस हादसे में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। मृतकों में अधिकतर हाथरस और एटा जिले के निवासी हैं। जनसत्ता की रिपोर्ट में मृतकों की संख्या 50 से अधिक बताई गई है, जबकि आज तक के मुताबिक, यह संख्या 27 है। एनडीटीवी के अनुसार, इस हादसे में 87 लोगों की मौत हुई है। इतनी भिन्न-भिन्न रिपोर्ट्स ने हादसे की वास्तविकता को स्पष्ट करना मुश्किल बना दिया है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
एटा के SSP राजेश कुमार सिंह ने बताया कि “हाथरस जिले के मुगलगढ़ी गांव में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गई। एटा अस्पताल में अब तक 27 शव मिले हैं, जिनमें 23 महिलाएं, 3 बच्चे और 1 आदमी शामिल हैं।” एटा के जिलाधिकारी के अनुसार, भगदड़ से लगभग 50 लोगों की मौत हुई है और कई अन्य घायल हैं।
एटा के SSP राजेश कुमार सिंह ने बताया, “हाथरस जिले के मुगलगढ़ी गांव में एक धार्मिक कार्यक्रम चल रहा था, तभी भगदड़ मची। अब तक एटा अस्पताल में 27 शव मिले हैं, जिनमें 23 महिलाएं, 3 बच्चे और 1 आदमी घायल नहीं पहुंचा है। आगे की जांच की जाएगी।हाथरस में भगदड़ से लगभग 50 लोगों की मौत हो गई, एटा के जिलाधिकारी ने बताया। इसलिए कई अन्य लोग घायल हैं।
CMO एटा, उमेश कुमार त्रिपाठी का कहना है, “पोस्टमार्टम हाउस पर अब तक 27 शव आ चुके हैं, जिनमें 25 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल हैं। कई घायलों को भी भर्ती कराया गया है।”
कार्यक्रम की स्थिति
हाथरस के रतिभानपुर इलाके में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें 50 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे। उमस और गर्मी के कारण पंडाल में भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। इस कार्यक्रम में मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद और एटा के लोग भी शामिल हुए थे। भगदड़ के समय पुलिस प्रशासन और एंबुलेंस को घटनास्थल पर पहुंचने में काफी देरी हुई। स्थानीय लोगों ने ही आसपास के अस्पतालों और एटा के हॉस्पिटल्स में घायलों को पहुंचाया।
चश्मदीदों की आपबीती
घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने इस दर्दनाक हादसे की भयावहता को बयान किया। कई महिलाएं और पुरुष एक-दूसरे पर गिर रहे थे। भगदड़ के कारण चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई थी। लोगों ने एक-दूसरे को संभालने की कोशिश की, लेकिन भीड़ इतनी अधिक थी कि किसी की बात सुनना संभव नहीं था।
कारण और आगे की जांच
इस हादसे के प्राथमिक कारणों में भीड़ की अधिकता और उमस भरी गर्मी को बताया जा रहा है। प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का आश्वासन दिया है।
हाथरस सत्संग भगदड़ ने एक बार फिर धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था की कमी को उजागर किया है। इस हादसे में जान गंवाने वाले परिवारों को न्याय दिलाने और घायलों के बेहतर इलाज के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। देशभर में इस हादसे को लेकर शोक और आक्रोश का माहौल है। उम्मीद है कि सरकार इस घटना से सबक लेकर भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए उचित कदम उठाएगी।