अमिताभ बच्चन, जिन्हें हम सभी ‘बिग बी’ के नाम से जानते हैं, न केवल एक महान अभिनेता हैं, बल्कि अपने परिवार और अतीत से जुड़े किस्सों को साझा करने में भी सहज रहते हैं। हाल ही में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के 16वें सीज़न में उन्होंने अपने पिता, महान कवि हरिवंश राय बच्चन, की पहली पत्नी श्यामा के निधन और दूसरी पत्नी तेजी बच्चन से उनकी मुलाकात का मार्मिक किस्सा साझा किया। यह कहानी न केवल हरिवंश राय बच्चन के जीवन के उतार-चढ़ाव को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे गहरे दुख के बाद एक नई शुरुआत की संभावना हमेशा बनी रहती है।
पहली पत्नी श्यामा: प्रेम और पीड़ा की शुरुआत
हरिवंश राय बच्चन का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण था। उनकी पहली पत्नी श्यामा के साथ उनका रिश्ता प्रेम से भरा हुआ था, लेकिन यह खुशी लंबे समय तक नहीं टिक सकी। श्यामा एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं, और उनके निधन ने हरिवंश राय बच्चन को पूरी तरह से तोड़ दिया। अमिताभ बच्चन ने इस घटना के बारे में बात करते हुए बताया कि उनकी मां तेजी बच्चन, हरिवंश राय की दूसरी पत्नी थीं, लेकिन पहली पत्नी के निधन ने उनके पिता को गहरे अवसाद में धकेल दिया था।
बिग बी ने कहा, “मेरे बाबूजी की पहली पत्नी का निधन हो गया था। पत्नी के गुजर जाने के बाद वह बहुत ही गंभीर स्थिति में पहुंच गए थे। वह उदास रहने लगे थे।” यह पीड़ा केवल एक व्यक्तिगत संकट नहीं था, बल्कि उनके लेखन में भी झलकने लगी। उन्होंने उस दौर में कई कविताएं लिखीं, जिनमें उनका दुख साफ दिखाई देता है। हरिवंश राय बच्चन की यह कविताएं आज भी साहित्य जगत में विशेष स्थान रखती हैं, और उन्होंने अपने दर्द को शब्दों में ढालकर लाखों लोगों के दिलों तक पहुंचाया।
अवसाद से उबरने की कोशिश: कवि सम्मेलन का सहारा
अपने जीवन के सबसे कठिन दौर में, हरिवंश राय बच्चन ने खुद को संभालने और जीने के लिए एक नया रास्ता ढूंढा। वह कवि सम्मेलनों में भाग लेने लगे, जहां उन्हें अपने विचार और भावनाओं को व्यक्त करने का मौका मिलता था। उनके लिए कविता एक माध्यम बन गई, जिससे वह अपने दुख को बाहर निकाल सकते थे। यह एक तरह की आत्मचिकित्सा थी, जिसने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का संबल दिया।
अमिताभ बच्चन ने शो में यह भी बताया कि उनके पिता धीरे-धीरे कवि सम्मेलनों में हिस्सा लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को संभालने लगे थे। यह उनके जीवन का वह समय था, जब उन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से न केवल खुद को, बल्कि अपने श्रोताओं को भी गहरे भावनात्मक अनुभवों से जोड़ा।
तेजी बच्चन से मुलाकात: जीवन में एक नई रोशनी
हरिवंश राय बच्चन की दूसरी शादी की कहानी किसी फिल्मी प्रेम कथा से कम नहीं है। अमिताभ बच्चन ने शो में बरेली में हुए एक कवि सम्मेलन का जिक्र किया, जहां उनके पिता की तेजी बच्चन से मुलाकात हुई। यह मुलाकात पूरी तरह से अप्रत्याशित थी। बरेली में हरिवंश राय के एक दोस्त ने उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया था, जहां तेजी बच्चन से उनकी पहली मुलाकात हुई।
अमिताभ बच्चन ने बताया, “डिनर के दौरान मेरे बाबूजी के दोस्त ने उनसे कविता सुनाने का आग्रह किया। लेकिन इससे पहले कि वह कविता सुनाते, उनके दोस्त ने अपनी पत्नी से मेरी मां (तेजी बच्चन) को बुलाने को कहा।” इस तरह, पहली बार तेजी बच्चन और हरिवंश राय बच्चन का सामना हुआ। उस रात हरिवंश राय ने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी’ सुनाई, और यह सुनकर तेजी बच्चन की आंखें नम हो गईं। यह वह क्षण था, जिसने दोनों के दिलों को एक दूसरे से जोड़ दिया।
शादी का प्रस्ताव: एक दोस्त की मदद
अमिताभ बच्चन ने एक और दिलचस्प किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि जब हरिवंश राय बच्चन अपने दोस्त के साथ डिनर कर रहे थे, तब उनके दोस्त ने एक माला लाकर हरिवंश राय से कहा, “इसे उसे पहना दो।” यह वह क्षण था जब हरिवंश राय बच्चन ने तेजी बच्चन के साथ अपना जीवन बिताने का निर्णय लिया। कुछ ही समय बाद, दोनों ने शादी कर ली, और इस तरह हरिवंश राय बच्चन का जीवन एक नए मोड़ पर आ गया।
1941 में हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन का विवाह हुआ। इस शादी ने दोनों के जीवन को एक नई दिशा दी और उनके दो बेटे हुए, अमिताभ और अजिताभ। तेजी बच्चन न केवल एक समर्पित पत्नी थीं, बल्कि उन्होंने हरिवंश राय के जीवन में खुशी और स्थिरता भी वापस लाई। उनके प्रेम और सहयोग ने हरिवंश राय को एक बार फिर जीवन में स्थिरता और संतुलन हासिल करने में मदद की।
तेजी बच्चन: एक प्रेरणादायक साथी
तेजी बच्चन ने हरिवंश राय बच्चन के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह केवल एक पत्नी नहीं थीं, बल्कि एक साथी थीं जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया। तेजी बच्चन का व्यक्तित्व भी उतना ही मजबूत था जितना कि हरिवंश राय का, और उन्होंने अपने पति को हर मुश्किल घड़ी में संभाला।
तेजी बच्चन ने हरिवंश राय के जीवन में सिर्फ एक जीवनसंगिनी के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रेरक शक्ति के रूप में भी काम किया। उन्होंने अपने पति के साहित्यिक करियर को भी संजीवनी दी। दोनों के जीवन में एक-दूसरे का साथ एक ऐसा संयोग था, जिसने न केवल उनकी व्यक्तिगत जिंदगियों को, बल्कि भारतीय साहित्य को भी समृद्ध किया।
निष्कर्ष: जीवन के उतार-चढ़ाव और नई शुरुआत
हरिवंश राय बच्चन का जीवन हमें सिखाता है कि जीवन में कभी-कभी कठिनाइयाँ और दुख के क्षण भी आते हैं, लेकिन इसके बाद एक नई शुरुआत की संभावना हमेशा बनी रहती है। श्यामा के निधन के बाद जिस तरह उन्होंने अपने जीवन को संभाला और तेजी बच्चन के साथ नया अध्याय शुरू किया, वह न केवल एक व्यक्तिगत प्रेरणा है, बल्कि उन सभी के लिए एक संदेश है जो जीवन के कठिन दौर से गुजर रहे हैं।
अमिताभ बच्चन द्वारा साझा किया गया यह किस्सा हमें याद दिलाता है कि प्रेम और साहस से जीवन की किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।