केरल के कई जिलों में वेस्ट नाइल फीवर के मामले सामने आने के बाद देशभर में लोगों की टेंशन बढ़ गई है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो यह वेस्ट नाइल फीवर एक वायरल संक्रमण होता है, जिसकी वजह वेस्ट नाइल वायरस होता है. इस वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से वेस्ट नाइल संक्रमण इंसानों में फैल जाता है. यह वायरस इंसानों के अलावा पक्षियों, मच्छरों, घोड़ों और कुछ अन्य जीवों को संक्रमित कर सकता है. यह वायरस जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है. ऐसे में लोगों को इस फीवर को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए. आज डॉक्टर से इस फीवर से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जान लेते हैं.
ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. दिनेश कुमार त्यागी ने को बताया कि वेस्ट नाइल वायरल प्राइमरी तौर पर मच्छरों से फैलता है. यह वायरस आमतौर पर अफ्रीका, यूरोप, मिडिल ईस्ट, नॉर्थ अमेरिका और वेस्ट एशिया में पाया जाता है. इस वायरस से संक्रमित होने पर लोगों को बुखार, पेट में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश, भूख न लगना, मसल्स में दर्द, मतली, उल्टी, दस्त, स्किन पर रैशेज और लिम्फ नोड्स में सूजन जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. अगर किसी को इस तरह के लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इलाज कराना चाहिए.
डॉ. दिनेश कुमार त्यागी ने बताया कि वेस्ट नाइल फीवर के मामलों में सिम्प्टमेटिक ट्रीटमेंट यानी लक्षणों के अनुसार इलाज किया जाता है. अगर किसी व्यक्ति को इस संक्रमण से बुखार आता है, तो उसे फीवर की दवा दी जाती है. बाकी लक्षणों में अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं. इसकी कोई अलग दवा नहीं है और न ही इस वायरस से बचने के लिए कोई वैक्सीन है. इससे बचने के लिए मच्छरों से बचाव करना जरूरी है. मच्छरों की वजह से डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया समेत कई अन्य बीमारियां भी फैल सकती हैं. इसलिए मच्छरों से बचाव कर आप कई बीमारियों से बच सकते हैं.
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि केरल में वेस्ट नाइल फीवर के कई मामले सामने आए हैं. ऐसे में दिल्ली-एनसीआर और अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों को इसका कितना खतरा है. इस पर डॉ. त्यागी का कहना है कि साल 2011 के बाद से केरल में इस बुखार के कुछ मामले देखे गए हैं. हालांकि दिल्ली-एनसीआर या अन्य राज्यों में इसके मामले रिपोर्ट नहीं किए गए हैं. ऐसे में लोगों को इसका खतरा नहीं है, लेकिन इसे लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. कोई भी वायरस लोगों के साथ एक जगह से दूसरे जगह पहुंच सकता है और संक्रमण फैला सकता है. ऐसे में सावधानी बरतना जरूरी है.