एल्युमिनियम से बनाई जाएगी वंदे भारत, जानिए वजह

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New Vande Bharat: अभी तक जो वंदे भारत बनीं उनकी बॉडी स्टील ( Vande bharat steel body) की थी। नई वंदे भारत ट्रेनों को एल्युमीनियम (Aluminium Vande Bharat)से बनाया जाएगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि एल्युमीनियम की वंदे भारत ट्रेनें बनाने में अधिक खर्च आएगा। एल्युमिनियम से बनी वंदे भारत अधिक हल्की और ज्यादा बिजली बचाने वाली होंगी। भारत में अभी तक एल्युमीनियम से ट्रेनों का निर्माण नहीं किया जाता था। इसके पीछे क्योंकि देश के पास इस तकनीक और मैटेरियल नहीं था। हालांकि, इस प्रोजेक्ट के साथ ये बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है।

 

से बनी वंदे भारत अधिक हल्की और ज्यादा बिजली बचाने वाली होंगी 1

भारतीय रेलवे ने 100 नई वंदे भारत ट्रेनों (Vande Bharat Trains) के निर्माण के लिए प्राइवेट कंपनियों से बोलियां मांगी थीं। 2 कंपनियों ने वंदे भारत ट्रेन की मैन्युफैक्चरिंग में रूचि दिखाई और अब इनमें से किसी एक को यह ठेका दे दिया जाएगा। इनमें से एक भारतीय कंपनी है जिसका नाम मेधा सर्वो ड्राइव्स है जो स्विस कंपनी स्टेडलर के साथ मिलकर ट्रेन बनाएगी। वहीं, दूसरी फ्रांस की एक अंतर्राष्ट्रीय कंपनी एल्सटोम है। एलस्टोम पहले से ही दिल्ली मेट्रो के लिए कोच का निर्माण कर रही है। संभव है कि ये वंदे भारत स्लीपर कोच के साथ बनाई जाएंगी। इनमें एक और नई बात यह होगी कि इनकी बॉडी स्टेनलैस स्टील की नहीं होगी।

 

कहां होगा इनका निर्माण
खबरों के अनुसार, इन्हें हरियाणा के सोनीपत में बनाया जाएगा। सौदे की शर्तों के मुताबिक, रेलवे इनके निर्माण के लिए कंपनियों को अपनी जगह (कारखाना) मुहैया कराएगा। जो भी कंपनी बोली जीतती है उससे 35 साल तक इन ट्रेनों की देखरेख का भी ठेका मिलेगा। कंपनी को ट्रेन बनाने के लिए 13,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे और रखरखाव के लिए जो भी रकम तय होगी वह 35 साल बाद मिलेगी। आपको बता दें कि मेधा सर्वो और अल्सटोम ने इसके लिए 30,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है।

 

मंत्रालय 2024 तक पहली स्लीपर वंदे भारत पटरियों पर उतार देना चाहता है

क्या है रेलवे की योजना
मिडिया के अनुसार, रेल मंत्रालय 2024 तक पहली स्लीपर वंदे भारत पटरियों पर उतार देना चाहता है। इसके अलावा अगले कुछ सालों में कुल 400 वंदे भारत ट्रेनों के परिचालन का लक्ष्य है। शुरुआती 10 वंदे भारत को मिली सफलता के बाद सरकार ने इनके निर्माण को गति देने की योजना बनाई है। अब इसका निर्माण केवल चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में ही नहीं होगा, बल्कि हरियाणा के सोनीपत, महाराष्ट्र के लातूर और उत्तर प्रदेश के बरेली में भी किया जाएगा।

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