हरियाणा की भूल नहीं दोहराएंगे
अखिलेश यादव : समाजवादी पार्टी (सपा) झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बेहद सतर्क हो गई है। पिछले चुनाव में हरियाणा में गठबंधन की उम्मीद में चुनावी तैयारियों में पिछड़ने के अनुभव से सबक लेते हुए, पार्टी अब अपनी रणनीति को लेकर स्पष्ट है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया है कि यदि गठबंधन होता है तो ठीक, नहीं तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।
चुनावी तैयारियों में तेजी
सपा ने झारखंड में चुनावी तैयारियों को तेज कर दिया है। पार्टी ने अपना राज्य प्रभारी पूर्व मंत्री व्यास गौंड को नियुक्त किया है, जो 24 सितंबर को झारखंड का दौरा करेंगे। साथ ही, सपा ने बेहतर समीकरण वाली सीटों की छंटनी शुरू कर दी है। पार्टी झारखंड और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए तत्पर है।
गठबंधन की आस में नहीं बैठेंगे
पार्टी अब गठबंधन की आस में नहीं बैठेगी। पिछले चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन के लिए इंतजार करने के कारण सपा को गंभीर नुकसान हुआ था। इस बार, पार्टी ने अपने चुनावी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे तैयारियों में कोई कमी न रखें। सपा झारखंड के अध्यक्ष केश्वर उर्फ रंजन यादव ने बताया कि पिछले चुनाव में पार्टी ने करीब 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार योजना 50 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की है।
गठबंधन की संभावना और सीटों की स्थिति
अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया है कि यदि इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों से गठबंधन होता है, तो पार्टी की स्थिति बेहतर होगी। लेकिन सीट शेयरिंग का निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष ही करेंगे। यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला गठबंधन कुल 81 सीटों में से 47 सीटें जीतने में सफल रहा था।
पिछले चुनाव का अनुभव
2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव में सपा का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। पार्टी ने 30 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उम्मीद से कम सीटें जीती थीं। इस बार, पार्टी ने यह सुनिश्चित करने की योजना बनाई है कि वह अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सके और उम्मीदवारों को पहले से तैयार कर सके।
चुनाव आयोग की सक्रियता
महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं। चुनाव आयोग भी बारी-बारी से इन राज्यों का दौरा करने की योजना बना रहा है, जिससे राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है। सपा अब अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों की रणनीति
सपा की यह रणनीति न केवल झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए है, बल्कि भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण है। अखिलेश यादव और उनकी पार्टी ने यह समझ लिया है कि एक मजबूत और स्थायी आधार बनाने की आवश्यकता है, जिससे कि वे आने वाले चुनावों में अधिक प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकें।
समाजवादी पार्टी का झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तैयार होना और अकेले लड़ने का निर्णय लेना दर्शाता है कि पार्टी ने अपने पिछले अनुभवों से काफी कुछ सीखा है। अखिलेश यादव की यह नई रणनीति उनकी पार्टी को मजबूत करने में मदद कर सकती है और यह तय करेगी कि सपा भविष्य में किस तरह से अपनी राजनीति को आकार देती है। अब देखना होगा कि क्या यह नई रणनीति चुनावी मैदान में उन्हें जीत दिला पाती है या नहीं।