mahabharata facts about duryodhana and krishna, gandhari and dhritrastra, unknown facts of mahabharata | अगर माता-पिता बच्चों की ओर ध्यान नहीं देंगे तो उनका भविष्य खराब हो सकता है, संतान के लिए सुख-सुविधाओं से ज्यादा अच्छे संस्कार जरूरी हैं

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एक महीने पहले

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  • गांधारी को विवाह से पहले नहीं बताया था कि धृतराष्ट्र नेत्रहीन हैं, विवाह के बाद जब ये बात गांधारी को मालूम हुई तो उसने भी आंखों पर पट्टी बांध ली, माता-पिता की अनदेखी की वजह से सभी कौरव अधर्मी हो गए

परिवार में माता-पिता की अनदेखी बच्चों का भविष्य खराब कर सकती है। संतान के लिए सुख-सुविधा से भी ज्यादा अच्छे संस्कार ज्यादा जरूरी हैं। फैमिली में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये हम महाभारत से सीख सकते हैं। महाभारत में पांडव और कौरव, दो पक्ष है। दोनों ही एक कुटुंब से हैं। लेकिन, दोनों पक्षों की संतानों में जमीन-आसमान का फर्क बताया गया है।

गांधारी गांधार की राजकुमारी थीं, उनका विवाह धृतराष्ट्र से हुआ था। गांधारी को विवाह से पहले ये नहीं बताया गया था कि धृतराष्ट्र नेत्रहीन हैं। जब गांधारी विवाह के बाद हस्तिनापुर आईं तो उन्हें मालूम हुआ कि धृतराष्ट्र नेत्रहीन है। पति देख नहीं सकते हैं तो गांधारी ने भी प्रतिज्ञा ले ली कि जब उसके पति ये दुनिया नहीं देख सकते हैं तो अब से मैं भी नहीं देखूंगी। इसके बाद गांधारी ने आंखों पर पट्टी बांध ली।

अब धृतराष्ट्र और गांधारी दोनों देख नहीं सकते थे। इन दोनों के सौ पुत्र हुए। दुर्योधन सबसे बड़ा था। माता-पिता दोनों ने संतान के संबंध में लापरवाही की। सभी को भरपूर सुख-सुविधाएं दीं। दुर्योधन से उन्हें खास लगाव था। एक का अंधा होना बहुत बुरा था और यहां तो माता-पिता दोनों ही अंधे हो चुके थे। ऐसे में बच्चों की गलत काम माता-पिता को दिखाई ही नहीं दिए और सभी पुत्र अधर्मी हो गए।

दूसरी ओर, पांडव पुत्र थे। उनका पालन-पोषण कुंती ने किया था। पांडव पुत्रों का बचपन अभावों में बीता। दुर्योधन शुरू से ही पांडवों के लिए तरह-तरह की परेशानियां खड़ी करता था। लेकिन, पांडव अपने संस्कार और बुद्धिमानी से सभी बाधाओं को दूर देते थे। ऐसे ही विवादों के बीच दोनों परिवार के बच्चे बड़े हुए। दुर्योधन अहंकारी हो गया था। पांडवों को अपने संस्कारों की वजह से श्रीकृष्ण की कृपा मिल गई।

महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण की कृपा और धर्म के अनुसार किए गए कर्मों से ही पांडवों ने कौरवों को नष्ट कर दिया था।

परिवार में संतानों को सुख-सुविधाएं दें, लेकिन उनके संस्कारों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। तभी उनका भविष्य सुखी और सफल हो सकता है।

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