Trains closed, 1500 rupees in Delhi are charged for those returning home on Diwali-Chhath, 3 thousand rupees for Lucknow | ट्रेनें बंद, दिवाली-छठ पर घर लौटने वालों से दिल्ली के 1500 तो लखनऊ के लिए वसूल रहे 3 हजार रुपए

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अमृतसर21 घंटे पहले

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  • राजस्थान, बिहार, यूपी और दिल्ली के रूट पर बेरोक-टोक चल रही बिना परमिट वाली बसें

किसान आंदोलन के कारण पिछले कई दिनों से ट्रेनें पूरी तरह से बंद हैं। दीवाली और छठ पूजा को लेकर दूसरे राज्यों से आए लोग अपने घरों को जाने के लिए कोई न कोई जुगाड़ लगा रहे हैं। ऐसे में बस ही एक ऐसा सहारा है, जिसके माध्यम से वह अपने घरों को जा सकते हैं। लेकिन शहर में बिना परमिट के चलने वाले प्राइवेट बसंे धड़ल्ले से शहर में आ जा रही हैं। लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते अवैध बस माफिया उनसे डबल-िट्रपल किराया वसूल रहा है। चाहे ट्रेन में उनको मंजिल तक पहुंचने के लिए 400 से 500 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन बसों में उनसे हजारों रुपए लिए जा रहे हैं।

श्रमिकों की इस मजबूरी का फायदा बस ऑपरेटर खूब उठा रहे हैं। इस दौरान अगर सवारी के जान-माल का कोई नुकसान हो तो किसी की कोई जिम्मेदारी भी नहीं। हालांकि इन बसों की शहर में प्रवेश की मंजूरी ही नहीं है, लेकिन ऊपर तक सांठगांठ के चलते आसानी से बसें शहर में आ जाती हैं। इन पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी आरटीए की रहती है, लेकिन आरटीए कार्रवाई नहीं कर रही। हालांकि उन्हें अपना कार्यभार संभाले हुए करीब पांच महीने का समय हो गया है, लेकिन उन्होंने इस तरफ देखा तक नहीं है।

पंजाब में स्लीपर बसों पर बैन, फिर भी चल रहीं
स्लीपर बसें पंजाब में पूरी तरह से बैन हैं। इसके बावजूद ये बेरोक-टोक चल रही हंै। अमृतसर में कई ट्रांसपोर्टर व नेताओं की शह पर ये बसें चल रही हैं। आरटीए सेक्रेटरी को इस बाबत पता होने के बावजूद भी यह बसं धड़ल्ले से चल रही है। अमृतसर से चलने वाली ये बसें दूसरे राज्यों की हैं। रेलवे स्टेशन के बाहर और गुरु नानक भवन बस स्टैंड के पास से ये सुबह और शाम दो शिफ्टों बिना परमिट चल रही हैं। दिल्ली के लिए हरेक यात्री से 1500 रुपए और लखनऊ तक के लिए 3 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। लोगों के सरेआम लूट हो रही है और अधिकारियों की आंखें बंद पड़ी हैं। बस चालक इन बसों में क्षमता से अधिक सवारियां भी बैठा रहे हैं।

हो रही ओवरलोडिंग, रोकने वाला कोई नहीं
यह बसों ओवरलोड होकर यहां से रवाना हो रही हैं, मगर किसी भी नाके पर जांच तक नहीं होती। अगर इन बसों में अपराधी या विस्फोटक पदार्थ आ जाएं तो सभी के हाथ पैर फूल जाएंगे, क्योंकि कंडक्टर व बस चालक भी इस बात का ध्यान नहीं रखते कि किसने क्या रखा है।

आरटीए सेक्रेटरी बोली- मुद्दा रेट का, अवैध बसों का नहीं, इसलिए जीएम से बात करूंगी

आरटीए सेक्रेटरी ज्योति बाला से जब इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कहा कि रेट के बारे में आरटीए डिपो के जीएम से बात करेंगी। मगर जब उनसे पूछा गया कि बिना परमिट चल रही बसों पर कार्रवाई नहीं हो रही तो उन्होंने कहा कि इश्यू तो रेट का है, बिना परमिट चल रही बसों का नहीं। फिर भी उन्होंने कई बार वहां जाकर चेकिंग की है।

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