Train scam: भारत की आबादी 1.4 बिलियन है. इस बिच बहुत से यात्री रेल नेटवर्क का इस्तेमाल करते है, लेकिन पूरी ट्रेन का स्वामित्व होना बहुत बड़ी है.
हमें मिली जानकारी के अनुसार मजाक में ही सही पर एक शख्स जिनका नाम संपूर्ण सिंह है. मजाक में स्थानीय लोगों ने सुझाव दिया कि संपूर्ण सिंह ने व्यक्तिगत रूप से ट्रेन खरीदी होगी.
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यह थी विभाग की गलती (Train scam)
किसान संपूर्ण सिंह ने इस ट्रेन को खुद की होने का करते हुए भारत के कुछ लोगो में से एक के रूप में सुर्खियों में अप्रत्याशित स्थान हासिल किया है.
अनजाने में हुई इस भूल से अमृतसर होकर जाने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस का राजस्व कटाना से संपूर्ण सिंह को सौंप दिया, जिससे वह कुछ समय के लिए ही सही पर ट्रेन के मालिक बन चुके थे.
यह बात साल 2007 की है जब लुधियाना-चंडीगढ़ ट्रेन का ट्रैक बन रहा था. इस अवधि के दौरान रेलवे अधिकारियों ने संपूर्ण सिंह की जमीन को अधिग्रहण कर लिया, और उन्हें 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया.
यह थी किसान की कहानी (Train scam)
इस कहानी में मजेदार बात तो यह थी की पड़ोसी गांव की जमीन के लिए प्रति एकड़ 71 लाख रुपये का काफी अधिक मुआवजा मिलना था. इस मुआवजे में हुई भारी असमानता ने संपूर्ण सिंह को असंगतता के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया और प्रेरित किया.
उनके द्वारा की गई पूछताछ ने उन्हें अदालत तक जाने के लिए प्रेरित किया. कानूनी कार्यवाही के परिणामस्वरूप अदालत ने शुरू में उनका मुआवजा 50 लाख रुपये प्रति एकड़ तक बढ़ा दिया, और बाद में यह आंकड़ा 1.7 करोड़ रुपये प्रति एकड़ से अधिक हो गया.
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