UP First Glass Skywalk Bridge: अमेरिका, फ्रांस, लंदन और चीन समेत कई देशों में खूबसूरत नजारे हैं और इन्हें निखाहरने के लिए मानव निर्मित कलाकृति भी हैं. इन्हीं में से एक है ग्लास ब्रिज, यह कांच से बना एक प्रकार पुल है जो पैदल यात्रियों के लिए होता है.
कांच के डेक या फर्श से बने इस पुल से पर्यटकों को सैंकड़ों फीट की ऊंचाई से पैरों के नीचे अनोखा नजारा देखने को मिलता है. भारत में भी ग्लास ब्रिज का क्रेज बढ़ता जा रहा है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में पहला ग्लास ब्रिज बनकर लगभग तैयार हो गया है.
खास बात है कि उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज चित्रकूट में तुलसी (शबरी) जल प्रपात में बनकर तैयार हुआ है. कोदंड वन स्थित जल प्रपात पर भगवान राम के धनुष और बाण के आकार में यह ग्लास ब्रिज बनाया गया है. यूपी के इस पहले ग्लास ब्रिज 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है. लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद इस पुल का उद्घाटन किए जाने की उम्मीद है. (Image- X@theupindex)
चित्रकूट में यह ग्लास ब्रिज करीब 18 महीने में बनकर तैयार हुआ है. इस पुल की खास बात यह है कि इसमें खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है जबकि दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर रखी गई है. इस पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम रखी गई है. (सांकेतिक तस्वीर)
3.7 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले इस पुल का निर्माण बिहार के राजगीर में बने स्काई वॉक ग्लास ब्रिज की तर्ज पर किया गया है. ग्लास ब्रिज के पैनल आम तौर पर लेमिनेटेड ग्लास से बने होते हैं, जिसमें बीच में एक ट्रांसपेरेंट इंटरलेयर के साथ कांच की दो या दो से अधिक परतें होती हैं. (Image- X)
चित्रकूट में बने इस ग्लास स्काई वाक ब्रिज से पर्यटक अब जमीन से सैंकड़ों फीट की ऊंचाई से वाटर फॉल की सुंदरता को निहारेंगे. चूंकि यह ग्लास ब्रिज मध्य प्रदेश के सतना जिले के बॉर्डर पर स्थित रानीपुर टाइगर रिजर्व के बीच टिकरिया, बम्भिया जंगल पर स्थित है इसलिए यहां जलप्रपात के साथ-साथ जंगल की सुंदरता भी देखने को मिलेगी. (सांकेतिक तस्वीर)