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भागलपुर4 घंटे पहले
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- मूर्ति विसर्जन के 48 घंटे बाद ही हटाए जाने थे अवशेष, एक साल बाद अब हटाए जा रहे
नगर निगम ने एक साल पहले काली प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए बरारी, बूढ़ानाथ और मुसहरी गंगा घाट किनारे तीन तालाब बनवाए थे। उनपर पाैने दाे लाख रुपए खर्च किये थे।
लेकिन मानक के अनुसार उन तालाबाें का रख-रखाव नहीं हुआ। अब तालाबाें काे विसर्जन लायक बनाने पर निगम फिर दाे लाख 15 हजार रुपए खर्च करेगा। तालाब का फिर से निर्माण ही करना पड़ेगा। पिछले साल तालाब में पानी कम था। सफाई भी नहीं थी इसलिए अधिकतर पूजा समितियाें ने प्रतिमा विसर्जन से इनकार कर दिया था। निगम के अफसर ने कहा था कि तीनाें जगहाें पर स्थायी तालाब बनाएंगे, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
तीन गंगा घाटाें पर बनाए गए थे तालाब
विसर्जन के 48 घंटे बाद मूर्तियाें काे निकालकर दूसरी जगह पर मिट्टी में दबाना था। लेकिन यह काम एक साल बाद रविवार काे हुआ। मूर्तियाें के अवशेष के बीच जमे पानी का रंग पूरे साल काला और हरा हाेकर सूखता रहा। पर्यावरणविद अरविंद मिश्रा कहते हैं कि गंगा के पानी में केमिकल व मूर्तियाें के बाल मिलने से जलीय जीवाें के सेहत काे नुकसान हाेता है। डाॅल्फिन अगर मूर्तियाें के बाल निगल ले ताे उसके गले में अटकने से उसकी माैत भी हाे सकती है। मेयर सीमा साहा ने बताया कि आचार संहिता समाप्त हाेने के बाद स्थायी तालाब बनाने का निर्णय लिया जाएगा।
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