Students are sad that this year will pass without Chandigarh carnival and colorful floats. | यह साल बिना चंडीगढ़ कार्निवाल और रंग-बिरंगे फ्लोट्स के गुजरेगा, स्टूडेंट्स उदास

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चंडीगढ़4 मिनट पहले

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सबसे पहले थीम का बेसब्री से इंतजार फिर उस मुताबिक स्कैच बनाने और फैकल्टी मेंबर्स से उन्हें अप्रूव करवाने की होड़। तब जाकर शुरू होता था फ्लोट्स बनाने का सिलसिला।

कुछ ऐसा ही माहौल होता था सेक्टर-10 के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट का नवंबर में। स्टूडेंट्स में सबसे अच्छा और सबसे पहले फ्लाेट्स बनाने की हाेड़ लगी रहती। दरअसल चंडीगढ़ कार्निवाल सेक्टर-10 के म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी के सामने वाले ग्राउंड में आयोजित होता। यह कार्निवाल तीन दिन चलता था।

इसका सबसे अहम हिस्सा हाेते हैं फ्लोट्स। इसलिए कार्निवाल से पहले ही कॉलेज स्टूडेंट्स फैकल्टी मेंबर्स की मदद से फ्लोट्स बनाने की तैयारी में जुट जाते। यह हर एज ग्रुप के लिए खास होता। कला का हर रंग इसमें हाेता।

गीत, संगीत, साहित्य, नाटक आदि। लेकिन इस बार कोविड-19 का असर कार्निवाल पर मंडरा रहा है। हमने कॉलेज के स्टूडेंट्स और फैकल्टी मेंबर से बात कर जाना कि वह कार्निवाल को कितना मिस कर रहे हैं।

यह कहना है स्टूडेंट्स का

इस बार आखिरी मौका था

चार साल से फ्लोट्स बना रहा हूं। इस बार आखिरी मौका था, अगले साल तक फाइनल ईयर कंप्लीट हो जाएगा। पिछली बार हमारी टीम काे बेस्ट फ्लाेट्स बनाने का अवाॅर्ड मिला था। हम लोग टीम वर्क, बॉडिंग, लास्ट मूवमेंट में रात के 11-12 बजे ठंड में काम करते। – सुनील, स्टूडेंट

पहली बार हिस्सा बनती

पिछली बार जब नवंबर में कॉलेज आई तो देखा कि सब कार्निवाल के लिए फ्लोट्स बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं। देख कर मन किया कि अगले साल एडमिशन होगा तो मैं भी इसका हिस्सा बनूंगी। पर शायद ऐसा न हो पाए। – कनिका मेहता, स्टूडेंट

याद आ रहे हैं मस्ती भरे पल

इस समय में बेहद चहल-पहल रहती थी। कोई स्कैच बना रहा है, तो कोई टीम बना रहा है कि क्योंकि टीम में 10 से 12 स्टूडेंट्स होते। इस पल का बेहद इंतजार रहता क्योंकि मस्ती भरे माहौल में सभी काम करते। यूनिटी देखने को मिलती। हमने पिछले साल ही तय कर लिया था कि टीम में किसे शामिल करना है। – रोहित, स्टूडेंट

हर बार नया अनुभव नवंबर का महीना बेहद खास होता था। वह माहौल अभी याद आ रहा है। मैं तीन साल से फ्लोट्स बना रहा हूं। हर बार मन में यही रहता कि अगली बार इससे भी बेहतर बनाना है और मजबूती से फ्लोट्स बनाना है। हर बार नया ही अनुभव देखने को मिलता था। – विक्रांत, स्टूडेंट

कोविड-19 के कारण कार्निवाल न हो तो ही बेहतर चंडीगढ़ कार्निवाल में भीड़ ज्यादा होती है। हर बार कई हजार संख्या में लोग पहुंचते है। कोविड-19 के समय में बचाव भी जरूरी हैं। हमारी ओर से प्रपोजल तैयार करके भेजा गया है इस बार कार्निवाल न हो तो ही बेहतर है। बाकी अागे देखते हैं क्या फैसला अाता है। – राकेश कुमार पोपली (पीसीएस), डायरेक्टर टूरिज्म यूटी

यह बोले फैकल्टी मेंबर इन दिनाें में ताे फ्लोट्स बनने का प्रोसेस शुरू हो जाता था। थीम के मुताबिक सभी अाइडिया पर काम करते। सभी के लिए यह पल बेहद यादगार होते। यूनिटी के साथ क्रिएटिविटी भी निकलकर आती। पिछले साल ऐसा हुआ कि स्टूडेंट्स के एग्जाम के चलते चंडीगढ़ कार्निवाल की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी। – एमएम राव

नवंबर आते ही याद आने लगे वह दिन नवंबर में अलग ही रौनक कॉलेज में देखने को मिलती जब सभी मिलकर काम करते। स्टूडेंट्स फ्लोट्स बनाने में जुट जाते थे। कार्निवाल में कॉलेज की इंवॉल्वमेंट बेहद खास होती थी। एक तरह से यह हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। इसलिए वह माहौल याद आ रहा है। 12 से 15 फ्लोट्स बनाने में स्टूडेंट्स के साथ फैकल्टी मेंबर्स भी साथ देते। सभी में बॉन्डिंग बनती। – डॉ. संजीव कुमार

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