shri ramcharit manas, family management tips by ramayana, we should remember these tips in married life to be happy, tips for successful married life | धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परिखिअहिं चारी, अनुसुइया ने सीता को बताया धैर्य, धर्म, मित्र और पत्नी की परख आपत्ति के समय होती है

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एक महीने पहले

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  • अरण्यकांड के अनुसुइया और सीता के प्रसंग की सीख, वैवाहिक जीवन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

श्रीरामचरित मानस के अरण्यकांड में अनुसुइया और सीता की भेंट का प्रसंग है। श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास के समय अत्रि मुनि के आश्रम में पहुंचे थे। यहां देवी सीता की भेंट माता अनुसुइया से हुई थी। इस प्रसंग में अनुसुइया ने वैवाहिक जीवन में ध्यान रखने योग्य बातें सीता को बताई थीं।

सीता जब अनुसुइया के पास पहुंची तो उन्होंने गुरु माता के चरण स्पर्श किए। अनुसुइया ने प्रसन्न होकर सीता को कभी न खराब होने वाले दिव्य आभूषण उपहार में दिए।

अनुसुइया ने कहा कि एक स्त्री के लिए उसके माता-पिता, भाई-बहन सभी ध्यान रखने वाले होते हैं, लेकिन इनकी भी एक सीमा होती है। स्त्री के लिए उसका पति ही असीम सुख देने वाला होता है। इसीलिए स्त्री को अपने पति का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परिखिअहिं चारी।।

इस चौपाई में अनुसुइया कहती हैं कि धैर्य, धर्म, मित्र और नारी यानी पत्नी की परख आपत्ति के समय ही होती है। इसीलिए पत्नी को अपने जीवन साथी का हर कदम साथ देना चाहिए।

अगर किसी स्त्री का पति वृद्ध, रोगी, मूर्ख, निर्धन, अंधा, बहरा, क्रोधी और गरीब भी है तो उसे अपने पति का पूरा सम्मान करना चाहिए। निस्वार्थ भाव से अपने जीवन साथी से प्रेम करना चाहिए और समर्पण का भाव बनाए रखना चाहिए। यही सुखी वैवाहिक जीवन का मूल सूत्र है।

प्रसंग की सीख

इस प्रसंग की सीख यह है कि पति हो या पत्नी, दोनों को अपने जीवन साथी का हर कदम साथ देना चाहिए। अगर जीवन साथी किसी मुश्किल में फंसा है तो उसकी मदद के लिए हर पल तैयार रहना चाहिए। पति-पत्नी को एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए और दोनों के बीच निस्वार्थ प्रेम होना चाहिए। जो लोग इन बातों का ध्यान रखते हैं, उनका वैवाहिक जीवन हमेशा सुखी और सफल बना रहता है।

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