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कालकाएक दिन पहले
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ट्रेनों का संचालन शुरू
- 9 नवंबर 1903 को पहली बार विश्व धरोहर में शुमार हुए रेलवे ट्रैक पर हुआ था ट्रेनों का संचालन शुरू
विश्व धरोहर में शुमार 96 किलोमीटर लंबा कालका शिमला रेलवे ट्रैक सोमवार को 117 साल का हो गया। 117 साल पहले 9 नवंबर 1903 को पहली ट्रेन इस विश्व धरोहर रेलवे ट्रैक पर चली थी। सोमवार को जानकारी देते हुए कालका स्टेशन के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार दोपहर 12:10 पर कालका से शिमला गई टॉय ट्रेन में 58 सैलानियों को रेलवे द्वारा मास्क, चॉकलेट, फ्रूटी भेंट कर रेलवे ट्रैक का 117वां जन्मदिन मनाया गया।
फिलहाल एक ही ट्रेन चलाई जा रही है:
कोरोना वायरस के चलते मार्च के अंत में रेलवे बोर्ड द्वारा सभी ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया था। उसके बाद से ही कालका शिमला रेलवे हैरिटेज ट्रैक पर दौड़ने वाली टॉय ट्रेन की बंद पड़ी थी। गत महीने इसका संचालन दोबारा शुरू किया गया जिसके कारण अभी एक ही ट्रेन रेलवे ट्रैक पर चल रही है। आम दिनों में इस रेलवे ट्रैक पर 6 ट्रेनें कालका से शिमला आती जाती है।
कालका शिमला रेलवे ट्रैक को नैरोगेज भी कहा जाता है। यह लाइन छोटी है। इसके लिए इसे नैरोगेज के नाम से पुकारा जाता है। इस रेल पटरी की चौड़ाई ढाई फुट है। 96 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक में 869 पुल और 102 सुरंग हैं जिनमें बड़ोग में पड़ने वाली 33 नंबर सुरंग सबसे बड़ी है। इस सुरंग का निर्माण बाबा भलकु के सहयोग से किया गया था। कालका व शिमला के मध्य कुल 18 स्टेशन आते हैं।
ब्रिटिश काल में बनवाया गया था यह ट्रैक: साल उम्र 1896 में ब्रिटिश कार्यकाल के दौरान एक कंपनी को इस रेलवे ट्रैक को बनाने का कार्य दिया गया था। वर्ष 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इसी रेलवे ट्रैक पर सफर करते हुए शिमला गए थे। वहीं साल 2008 में इस रेलवे ट्रैक को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शामिल किया गया था।
कालका रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधिक्षक गोकुल सिंह ने बताया कि सोमवार को कालका से शिमला गई ट्रेन में 58 सवारियां गई हैं। उन्होंने बताया कि 68 लोगों द्वारा बुकिंग करवाई गई थी लेकिन 58 लोग ही सवार होकर कालका से शिमला गए।
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