QWERTY कीबोर्ड का अनोखा रहस्य: ABCD की जगह QWERTY क्यों?

0

QWERTY कीबोर्ड, कंप्यूटर या लैपटॉप के कीबोर्ड पर हर रोज टाइपिंग करते समय क्या आपने कभी सोचा है कि अक्षर QWERTY क्रम में क्यों हैं, जबकि हमारे बचपन से पढ़े गए अक्षर ABCD क्रम में होते हैं? यह सवाल लाखों लोगों के मन में आता है, लेकिन बहुत कम लोग इसका सही जवाब जानते हैं। दरअसल, 100 में से 99 लोग इस अनूठी डिज़ाइन की वजह नहीं जानते। अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं, तो घबराइए नहीं! इस ब्लॉग में हम आपको QWERTY कीबोर्ड की कहानी और इसके पीछे के दिलचस्प इतिहास के बारे में बताएंगे।

QWERTY कीबोर्ड

QWERTY कीबोर्ड की शुरुआत: टाइपराइटर की क्रांति

QWERTY कीबोर्ड की जड़ें 19वीं शताब्दी के अंत में टाइपराइटर के आविष्कार से जुड़ी हैं। उस समय टाइपिंग को सरल और तेज बनाने के प्रयास जारी थे। टाइपराइटर का पहला सफल मॉडल क्रिस्टोफर लैथम शोल्स (Christopher Latham Sholes) ने 1868 में पेश किया था। इस मशीन के आविष्कार ने आधुनिक टाइपिंग की दुनिया की नींव रखी।

शुरुआत में, टाइपराइटर पर अक्षर A से Z तक के क्रम में रखे गए थे, ताकि लोगों को आसानी हो। लेकिन जैसे-जैसे लोगों की टाइपिंग स्पीड बढ़ने लगी, एक बड़ी समस्या सामने आई। तेज़ गति से टाइप करते समय टाइपराइटर की कीज़ अक्सर एक-दूसरे से टकरा जाती थीं और मशीन जाम हो जाती थी। यह समस्या इतनी गंभीर थी कि इसका समाधान खोजना जरूरी था।

QWERTY कीबोर्ड का आविष्कार: कीज़ के टकराने की समस्या का हल

टाइपराइटर की इस तकनीकी समस्या को हल करने के लिए, शोल्स और उनके साथियों ने एक नई डिज़ाइन का आविष्कार किया, जिसे आज हम QWERTY कीबोर्ड के नाम से जानते हैं। इस डिज़ाइन का उद्देश्य था कि टाइपिंग की गति थोड़ी धीमी हो, ताकि कीज़ के टकराने की समस्या से बचा जा सके। इसके लिए उन्होंने अक्षरों को इस तरह से व्यवस्थित किया कि अक्सर उपयोग में आने वाले अक्षर एक-दूसरे के पास न हों।

QWERTY डिज़ाइन में अंग्रेजी भाषा में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले अक्षरों को अलग-अलग रखा गया, ताकि टाइपिंग करते समय उंगलियों को ज्यादा दूर न जाना पड़े। इस तरह, कीज़ के टकराने की संभावना कम हो गई। ऊपरी पंक्ति में Q, W, E, R, T, Y जैसे अक्षर रखे गए, और इसी वजह से कीबोर्ड को QWERTY नाम दिया गया।

QWERTY कीबोर्ड कैसे बना मानक?

शुरुआती टाइपराइटर में सबसे सफल रेमिंगटन (Remington) कंपनी का टाइपराइटर था, जिसने QWERTY लेआउट को अपनाया। रेमिंगटन उस समय की प्रमुख टाइपराइटर निर्माता कंपनी थी, और उनकी इस डिज़ाइन ने काफी लोकप्रियता हासिल की। जैसे-जैसे रेमिंगटन के टाइपराइटर बाजार में बिकने लगे, QWERTY कीबोर्ड लेआउट एक मानक बन गया।

धीरे-धीरे जब कंप्यूटर और लैपटॉप का आविष्कार हुआ, तो इसी QWERTY लेआउट को अपनाया गया, क्योंकि लोग इस डिज़ाइन से पहले से ही परिचित थे। कंप्यूटर कीबोर्ड का विकास टाइपराइटर की जगह लेने के साथ हुआ, लेकिन QWERTY कीबोर्ड की लोकप्रियता अब भी बनी रही।

QWERTY कीबोर्ड
https://thenationtimes.in/wp-content/uploads/2024/10/image-1802.png

अन्य कीबोर्ड डिज़ाइन: ड्वोरक का प्रयास

QWERTY कीबोर्ड सबसे प्रचलित डिज़ाइन है, लेकिन यह एकमात्र विकल्प नहीं है। 1930 के दशक में डॉ. ऑगस्ट ड्वोरक (August Dvorak) ने एक और कीबोर्ड डिज़ाइन का विकास किया, जिसे ड्वोरक कीबोर्ड के नाम से जाना जाता है। ड्वोरक कीबोर्ड का मुख्य उद्देश्य टाइपिंग की गति को बढ़ाना और टाइपिस्ट को अधिक आराम प्रदान करना था।

ड्वोरक कीबोर्ड में अक्सर इस्तेमाल होने वाले अक्षरों को इस तरह से व्यवस्थित किया गया था कि उंगलियों की मूवमेंट कम हो और टाइपिंग अधिक सहजता से हो सके। उदाहरण के लिए, इसमें सबसे अधिक उपयोग होने वाले स्वर और व्यंजन कीज़ को हाथों की होम रो (Home Row) में रखा गया था, ताकि टाइपिंग के दौरान उंगलियों को ज्यादा दूर न जाना पड़े।

हालांकि ड्वोरक कीबोर्ड की डिज़ाइन तकनीकी रूप से अधिक प्रभावी मानी गई, लेकिन QWERTY कीबोर्ड की व्यापकता और पहले से स्थापित मानक होने के कारण ड्वोरक कीबोर्ड उतनी लोकप्रियता हासिल नहीं कर सका। लोग पहले से ही QWERTY लेआउट के आदी हो चुके थे, इसलिए वे नए लेआउट को अपनाने में संकोच करते थे।

क्या QWERTY डिज़ाइन आज भी प्रासंगिक है?

टाइपिंग की दुनिया में प्रगति होने के बावजूद, QWERTY कीबोर्ड आज भी सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला कीबोर्ड लेआउट है। हालाँकि, यह डिज़ाइन 19वीं शताब्दी की एक समस्या का समाधान था, जब टाइपराइटर के कीज़ टकराते थे। आज, कंप्यूटर और लैपटॉप कीबोर्ड में ऐसी कोई समस्या नहीं है, फिर भी QWERTY लेआउट की आदत और इसका उपयोग जारी है।

इसके पीछे एक बड़ा कारण है कि अधिकांश लोग QWERTY डिज़ाइन के आदी हो चुके हैं। यह लेआउट इतने लंबे समय से उपयोग में है कि टाइपिंग सिखाने वाले संस्थान, स्कूल और कार्यालय सभी इसी डिज़ाइन को अपनाते हैं। इसलिए, इसे बदलने की कोशिश करना लोगों के लिए असुविधाजनक हो सकता है।

हालांकि, जो लोग तेजी से टाइप करना चाहते हैं या टाइपिंग के दौरान अधिक आराम चाहते हैं, वे ड्वोरक या अन्य विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं।

image 1803

भविष्य की दिशा: QWERTY से आगे?

वर्तमान में, वॉइस टाइपिंग, स्वाइप टाइपिंग, और वर्चुअल कीबोर्ड जैसी नई तकनीकें उभर रही हैं, जो टाइपिंग के अनुभव को बदलने की दिशा में काम कर रही हैं। स्मार्टफोन और टैबलेट में स्वाइप टाइपिंग ने टाइपिंग को तेज और अधिक सहज बना दिया है।

वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित वॉइस टाइपिंग ने भी लोगों को बिना कीबोर्ड छुए ही टेक्स्ट लिखने की सुविधा दी है।

हालांकि QWERTY कीबोर्ड अभी भी मुख्य रूप से इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन भविष्य में टाइपिंग के तरीके और उपकरण बदल सकते हैं। फिर भी, QWERTY कीबोर्ड का इतिहास और इसका डिज़ाइन हमें बताता है कि तकनीक में छोटे-छोटे बदलाव भी हमारी आदतों और काम करने के तरीकों पर बड़ा असर डाल सकते हैं।

QWERTY कीबोर्ड का आविष्कार एक ऐसी समस्या के समाधान के रूप में किया गया था, जो टाइपराइटर के समय में थी। यह डिज़ाइन उस समय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाई गई थी, और धीरे-धीरे यह मानक बन गई। हालाँकि आज के कंप्यूटर और लैपटॉप में ऐसी कोई तकनीकी बाधा नहीं है, फिर भी लोग QWERTY डिज़ाइन के आदी हो चुके हैं, और यह एक व्यापक मानक बन गया है।

QWERTY कीबोर्ड की यह अनोखी कहानी हमें यह सिखाती है कि एक छोटे से समाधान से भी दुनिया में बड़ा बदलाव आ सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here