पेरेंटिंग नहीं आसान, फिर भी बच्चों पर हेलीकाप्टर की तरह न मंडराएं

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पेरेंटिंग करना आसान काम नहीं है. बच्चों की बेहतर देखभाल से लेकर उन्हें हर अच्छी बुरी बात के बारे में समझाना पेरेंट्स के लिए मुश्किल टास्क होता है. कई बार बच्चे जाने अनजाने में गलत कदम भी उठा लेते हैं और इसकी वजह से कई पेरेंट्स की टेंशन बढ़ जाती है. इन सभी चीजों से बचने के लिए कई पेरेंट्स बच्चों पर 24 घंटे कड़ी नजर रखते हैं. वे बच्चों के खाने-पीने से लेकर सोने-जागने तक हर चीज का हद से ज्यादा ख्याल रखते हैं. पेरेंट्स को लगता है कि ऐसा करना अच्छी बात है, लेकिन इसका असर बच्चों पर बुरी तरह पड़ता है. बच्चों पर हद से ज्यादा निगरानी और अत्यधिक कंट्रोल करने की आदत को ओवर पेरेंटिंग माना जाता है. जानकार इस तरह की पेरेंटिंग को हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कहते हैं.

क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग को अक्सर ओवर-पेरेंटिंग के रूप में जाना जाता है. जो पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं और उसके आसपास मंडराते रहते हैं, तो इसे हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कहा जाता है. पेरेंट्स को लगता है कि बच्चों पर हमेशा नज़र रखना अच्छी बात है, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स और रिसर्च की मानें तो पेरेंटिंग का यह तरीका बच्चों का विकास रोक सकता है. बच्चों की जिंदगी में हद से ज्यादा दखल और उनकी हर एक्टिविटी व बातचीत की मॉनिटरिंग उनकी हेल्थ के लिए भी अच्ची नहीं मानी जाती है. इससे बच्चे तेजी से ग्रोथ नहीं कर पाते हैं और कई बार मानसिक हेल्थ पर भी नेगेटिव असर पड़ सकता है. इस तरह की पेरेंटिंग के फायदे भी होते हैं, लेकिन इससे नुकसान ज्यादा होता है.

 

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग का असर बच्चों के डेवलपमेंट और ग्रोथ पर पड़ता है. इससे बच्चा खुद चुनौतियों का सामना करने में अक्षम महसूस करेगा और असहज महसूस करेगा. बच्चे अक्सर गलतियां करते हैं और उनसे कई अहम बातें सीखते हैं, लेकिन पेरेंटिंग के इस तरीके में बच्चे गलती करके खुद सबक नहीं ले पाते हैं. उन्हें गलतियों का मौका ही नहीं दिया जाता है. हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग की वजह से बच्चे सोशल नहीं हो पाते हैं और वे लोगों के सामने झिझक महसूस करते हैं. बच्चे अपने दोस्तों को पेरेंट्स से मिलवाने में सहज महसूस नहीं करते हैं. बच्चे उम्र बढ़ने के साथ खुद ही प्रॉब्लम्स को सुलझाने की कला सीखते हैं, लेकिन ओवर पेरेंटिंग उन्हें इस जरूरी चीज को सीखने से रोक सकती है. ऐसे बच्चे अपने पेरेंट्स को खुलकर कोई बात नहीं बता पाते हैं और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं. इससे उनकी मानसिक सेहत खराब होती है.

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि पेरेंट्स के लिए भी नुकसानदायक होती है. नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की रिसर्च से पता चलता है कि हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग बच्चों में स्ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन की वजह बन सकती है. यह पेरेंटिंग बच्चों को मेंटल प्रॉब्लम्स की तरफ धकेल सकती है. इसका असर बच्चों के साथ माता-पिता की मानसिक सेहत पर भी बुरी तरह पड़ता है. अब तक कई स्टडी में इस पेरेंटिंग के नुकसान सामने आ चुके हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ बच्चों के लिए यह पेरेिंटिग फायदेमंद भी साबित हो सकती है. हालांकि माता

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